प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारत के राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने एकीकृत भुगतान प्रणाली (यूपीआई) में एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) के इस्तेमाल को लेकर बीते सप्ताह दो परिपत्र जारी किए। ये परिपत्र इस महीने की शुरुआत में नेटवर्क में आई खराबी के बाद आए हैं।
इन परिपत्रों में से एक में चार यूपीआई एपीआई के रिस्पांस समय में कटौती से संबंधित है। दूसरे परिपत्र में वास्तविक समय भुगतान प्रणाली से जुड़े सभी एपीआई के बेजा इस्तेमाल रोकने से संबंधित दिशानिर्देश हैं। एनपीसीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वह इस साल 16 जून से यूपीआई के एपीआई के रिस्पांस समय में बदलाव को लागू करे। बैंकों और उसके साझेदारों से साझा किए गए इन दिशानिर्देशों का मकसद यूपीआई नेटवर्क में खामियों को कम करना है।
वरिष्ठ अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, ‘बैंकों की तरफ से क्षमता का कोई मुद्दा नहीं है। जब व्यवधान की समस्या का सामना करना पड़ता है तो इस बात की कोई सीमा नहीं थी कि बैंक कितनी बार लेन-देन की स्थिति की जांच के लिए सवाल भेजते हैं। कोई बाधा आने की स्थिति में बैंक सिस्टम पर अधिक कॉल भेजते हैं और इससे प्रक्रिया अधिक धीमी हो जाती है। लिहाजा बैंक व एनपीसीआई मिलकर काम कर रहे हैं।
एपीआई को बैंकिंग सिस्टम्स व यूपीआई नेटवर्क में सुरक्षित डेटा लेन-देन के प्रोटोकॉल और टूल्स को सहज ढंग से लागू करने के लिए कहा गया है। जैसे यूपीआई एपीआई के ‘चेक ट्रांजेक्शन सिस्टम’ के लिए मौजूदा प्रतिक्रिया समय 30 सेकेंड तय है और रिवाइज्ड समय 10 सेकेंड है।
इसी तरह का बदलाव ट्रांजैक्शन रिवर्सल (डेबिट और क्रेडिट) के लिए तय किया गया है। एपीआई की अन्य चिंताओं में ‘अनुरोध और प्रतिक्रिया भुगतान’ के समय को 30 सेकेंड से घटाकर 15 सेकेंड कर दिया गया है जबकि ‘एड्रेस सत्यापित’ करने का समय 15 सेकेंड से घटाकर 10 सेकेंड कर दिया गया है।