सोने का दाम चाहे कितना ही बढ़ या घट क्यों न जाए पर भारतीय लोगों में उसकी चमक और आकर्षण कभी कम नहीं होती। चाहे शादियों के लिए गहने खरीदने हो या फिर निवेश करना हो, लोगों के बीच सोने का अपना एक अलग ही महत्व है। चाहे बेटी की शादी या बीवी का बर्थडे या फिर भविष्य के लिए निवेश करना हो लोग सोने को ही प्राथमिकता देते हैं। लेकिन अगर हम आपसे कहें की ये गिफ्ट्स जो लोगों को इतना लुभाते हैं वो अपने साथ टैक्स की बाधाएं भी लातें हैं तो आप क्या कहेंगे?भारतीय संस्कृति में आम तौर पर हर मौकों पर सोने के तौहफे देने का एक रिवाज सा बन गया है। चाहे किसी की शादी हो, या बर्थडे पार्टी, या फिर कोई फैमिली फंक्शन हो, लोग अक्सर सोने के उपहार देना पसंद करते हैं। आपको जान कर हैरानी होगी की यह तोहफे टैक्स फ्री नहीं होते हैं। जी हाँ, गिफ्ट में मिले सोने पर भी एक लिमिट के बाद टैक्स लगता है और अगर आप वो टैक्स नहीं चुकाते तो उसे चोरी मानी जाएगी।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुछ मामलों में गिफ्ट में मिला सोना टैक्सफ्री होता है। जैसे कि- परिवार के सदस्यों की शादी, जन्मदिन जैसे मौकों पर गिफ्ट में मिले सोने के गहनों पर टैक्स नहीं लगता। या फिर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को विरासत में मिले सोने के गहनों पर भी टैक्स नहीं देना पड़ता। लेकिन जब आप भविष्य में कभी इन गहनों को बेचेंगे तब टैक्स ज़रूर भरना पड़ेगा।
एक्सपर्ट्स की माने तो ऐसे मामलों में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी बनती है। कैपिटल गेन टैक्स की गणना करने के लिए होल्डिंग पीरियड को आधार बनाया जाता है। होल्डिंग पीरियड उस दिन को माना जाएगा जिस दिन सोना खरीदा गया था। इसके बाद गहनों के अभी के मूल्य में खरीदने के समय की कीमत को घटा कर कैपिटल गेन निकाला जाएगा, जिसके ऊपर आपकी टैक्स की देनदारी बनेगी।
फाइनेंसियल एक्सपर्ट्स बताते हैं कि शादी में मिले सभी गिफ्ट्स भी टैक्स फ्री नहीं होते। परिवार के बाहर से मिले ये गिफ्ट्स एक लिमिट के बाद आपके लिए टैक्सेबल हो जाते हैं। एक वित्त वर्ष में 50 हज़ार रुपये तक के कीमत वाले गिफ्ट्स टैक्स फ्री होते हैं। यदि आपको एक साल के अंदर 50 हज़ार रुपये से ज़्यादा के तोहफे मिले हैं तो आपकी टैक्स देनदारी उसकी कुल कीमत पर लगेगी।