सोने की कीमतों में गिरावट के बीच वर्ष 2021 में अब तक सेंसेक्स के अनुरूप प्रदर्शन करने वाले स्वर्ण वित्त कंपनियों मुथूट फाइनैंस और मणप्पुरम फाइनैंस के शेयरों पर पिछले दो दिनों में भारी दबाव देखने को मिला। मणप्पुरम में 4.6 प्रतिशत और उसकी बड़ी प्रतिस्पर्धी मुथूट फाइनैंस के शेयर में 2.2 प्रतिशत तक की कमजोर आई। वहीं सेंसेक्स में 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इन दो गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर नजर रखने वाले विश्लेषकों को इन स्वर्ण-आधारित ऋणदाताओं का अल्पावधि परिदृश्य प्रभावित होने की आशंका है।
सोने की कीमतें
पिछले 6 महीनों में, बीएसई पर इन दो शेयरों ने 14 प्रतिशत (मणप्पुरम फाइनैंस) और 16 प्रतिशत (मुथूट फाइनैंस) के अंतर से सेंसेक्स को मात दी है, जबकि सेंसेक्स के लिए यह तेजी 32 प्रतिशत रही। इसकी मुख्य वजह सोने की कीमतों में आई गिरावट है।
भारत में स्वर्ण वायदा शुक्रवार को एमसीएक्स पर 44,486 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था और चालू वर्ष 2021 में अब तक इसमें करीब 10 प्रतिशत की कमजोरी आई है। सोने की कीमतें अगस्त 2020 के 56,200 के ऊंचे स्तरों से 10,000 रुपये प्रति ग्राम तक टूट चुकी हैं, क्योंकि ऊंचे अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल ने निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। अंतरराष्ट्रीय तौर पर सोना 2,064 डॉलर के अपने अगस्त की ऊंचाई से 18 प्रतिशत टूट कर 1,695 डॉलर के स्तर पर आ चुका है। सकारात्मक वैश्विक वृद्घि के अनुमान के साथ साथ कोरोनावायरस टीके की पेशकश के बाद सुधरते आर्थिक हालात से भी रक्षात्मक निवेश के तौर पर समझे जाने वाले सोने का आकर्षण प्रभावित हुआ है।
स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा कहते हैं, ‘माना जा रहा है कि अल्पावधि में सोने की कीमतें गिरकर 40,000 रुपये के स्तर पर आ सकती हैं। इसके अलावा, स्वर्ण ऋणों के लिए सुरक्षा का मार्जिन भी मौजूदा समय में नीचे आया है। सोने की कीमतें अपने ऊंचे स्तरों से 20 प्रतिशत नीचे आ चुकी हैं और अल्पावधि कमजोरी बरकरार रहने से इन एनबीएफसी को ज्यादा मार्जिन की जरूरत हो सकती है।’ ये कंपनियां सोना अपने पास गिरवी रखकर ग्राहकों को ऋण मुहैया कराती हैं। यदि स्वर्ण कीमतें गिरती हैं, तो गिरवी की वैल्यू भी घट जाती है।
मुनाफावसूली का सुझाव
बालिगा के अलाव इक्विनोमिक्स रिसर्च में संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम ने भी निवेशकों को मुथूट फाइनैंस और मणप्पुरम फाइनैंस के शेयरों में मुनाफावसूली करने का सुझाव दिया है। चोकालिंगम कहते हैं, ‘मुद्रास्फीति संबंधित चिंताओं के अलावा, कई प्रमुख बैंकों ने स्वर्ण ऋण बाजार में प्रवेश किया है। जहां उनकी बाजार भागीदारी अब सीमित बनी हुई है, वहीं इस सेगमेंट में आक्रामक तेजी की वजह से प्रतिस्पर्धा (दो स्वर्ण फाइनैंसरों के लिए) बढ़ सकती है।’
हालांकि एमके वेल्थ के शोध प्रमुख जोसफ थॉमस का मानना है कि इन एनबीएफसी के व्यवसाय पर किसी तरह के दबाव की भरपाई कुल आर्थिक गतिविधि में धीरे धीरे आ रहे सुधार से मदद मिल सकेगी।
वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही के अंत में मुथूट फाइनैंस की सकल प्रबंधन अधीन ऋण परिसंपत्तियां (एयूएम) 50,391 करोड़ रुपये पर थीं, जिसमें स्वर्ण ऋण एयूएम का योगदान 49,623 करोड़ रुपये पार था।