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Paytm: बंद हो सकता है पेटीएम डिजिटल वॉलेट, PPI लाइसेंस जारी करने के पहले RBI करेगा जांच

RBI ने अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ) जारी कर लोगों को साफ किया था कि वे अपने वॉलेट का धन ‘बैलेंस रहने तक’ 15 मार्च के बाद भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

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असित रंजन मिश्र   
Last Updated- February 18, 2024 | 9:29 PM IST

पेटीएम ऐप को संभवतः अपनी एकीकृत मोबाइल वॉलेट सुविधा स्थायी रूप से गंवानी पड़ सकती है, जो वर्तमान में पेटीएम पेमेंट्स बैंक (पीपीबी) के स्वामित्व में है। सूत्रों ने बताया कि पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा इसे नए वॉलेट लाइसेंस की अनुमति दिए जाने की संभावना कम है।

एक आधिकारिक सूत्र ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘पेटीएम ऐप (वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड) को पेटीएम ऐप में मोबाइल वॉलेट जैसे प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (पीपीआई) चलाने के लिए आरबीआई के पास लाइसेंस के लिए नए सिरे से आवेदन करना होगा, क्योंकि पीपीआई नियमन के दायरे में आता है। पीपीआई लाइसेंस जारी करने के पहले रिजर्व बैंक प्रमोटर की विश्वसनीयता और कंपनी के पिछले रिकॉर्ड की जांच करता है। पेटीएम के मामले में यह वॉलेट लाइसेंस पाने में सहायक नहीं होगा।’

इस सिलसिले में पेटीएम को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिल सका।

पेटीएम ने 2014 में पहली बार मोबाइल वॉलेट पेश किया था। भारत में वॉलेट पर आधारित लेनदेन में इसकी सबसे अधिक बाजार हिस्सेदारी है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने 16 फरवरी को खबर दी थी कि पेटीएम के 35 करोड़ वॉलेट यूजर्स हैं, जिसमें से 30 करोड़ शून्य बैलेंस वाले हैं, जबकि 5 करोड़ लोग अपने वॉलेट में पैसे रखते हैं और बीते साल सक्रिय रहे हैं। कंपनी के अनुरोध पर रिजर्व बैंक ने पेटीएम का मोबाइल वॉलेट लाइसेंस 25 जुलाई 2017 को रद्द कर दिया था।

रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर एक अधिसूचना में कहा गया है, ‘इकाई ने रिजर्व बैंक की अनुमति के अनुसार अपना पीपीआई बिजनेस (पेटीएम वॉलेट), पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (पीपीबीएल) को स्थानांतरित कर दिया है।’

यह वॉलेट मोबाइल रीचार्ज और बिल भुगतान के विकल्प के साथ शुरू किया गया था। उसके बाद इसका इस्तेमाल टोल के भुगतान के लिए फास्टैग रीचार्ज के लिए किया जाने लगा। पीपीबी भारत में फास्टैग जारी करने के मामले में तीसरे स्थान पर है, जबकि आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक इससे आगे हैं।

डिजिटल लेंडिंग और फिनटेक कंसल्टेंट पारिजात गर्ग ने कहा, ‘पी2एम (पर्सन टु मर्चेंट) वॉलेट ट्रांजेक्शन में पेटीएम संख्या के हिसाब से 60 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी की दावेदारी करता है। 5 करोड़ सक्रिय वॉलेट में से 1.8 करोड़ ने फास्टैग लिए हैं। रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के मुताबिक वॉलेट संबंधी कारोबार अन्य बैंकों को दिया जाना है। फास्टैग पर 1.5 से 2 प्रतिशत एमडीआर (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) और वॉलेट पर 15 से 18 बीपीएस को देखते हुए इससे 200 से 300 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान बनता है, शायद यह पेटीएम ने जो कहा था, उसके बराबर है।’

शुक्रवार को रिजर्व बैंक ने अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (एफएक्यू) जारी कर लोगों को साफ किया था कि वे अपने वॉलेट का धन ‘बैलेंस रहने तक’ 15 मार्च के बाद भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ‘वॉलेट में धन रखने को लेकर शुरुआत में लोग भयभीत थे। पेटीएम ने कैशबैक, बाई वन, गेट वन फ्री मूवी टिकट, और रिचार्ज पर छूट जैसी अवधारणा पेश किया। इसने ग्राहकों का व्यवहार बदल दिया और यही वजह है कि अन्य कारोबारी भी बाजार में आए। दुर्भाग्य से, अब ऐसा होने से अगर उनके पास वॉलेट नहीं होता, तो ग्राहक अन्य विकल्प अपना लेंगे।’

First Published : February 18, 2024 | 9:29 PM IST