प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के निवेश को लेकर उठ रहे सवालों पर वित्त मंत्रालय ने सोमवार को साफ-साफ कहा कि सरकार या वित्तीय सेवा विभाग की तरफ से LIC को यह नहीं बताया जाता कि उसका पैसा कहां लगाना है। सरकार ने कहा कि LIC अपने फैसले खुद लेता है। इसके लिए सख्त जांच, जोखिम का आकलन और कानूनी नियमों का पूरा पालन किया जाता है। ये सारे फैसले इंश्योरेंस एक्ट 1938 और IRDAI, RBI व SEBI के नियमों के दायरे में ही होते हैं।
लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मंत्रालय ने यह स्पष्टीकरण दिया। सवाल था कि क्या सरकार या DFS ने कभी LIC या दूसरी सरकारी वित्तीय संस्थाओं को आदेश या सलाह दी थी कि अदाणी ग्रुप की कंपनियों में पैसा लगाओ। मंत्रालय ने इससे साफ इनकार किया।
मंत्रालय ने बताया कि LIC ज्यादातर NSE और BSE की टॉप 500 कंपनियों में ही निवेश करता है। इनमें भी बड़ा हिस्सा बड़ी-बड़ी कंपनियों का है। 30 सितंबर 2025 तक निफ्टी-50 कंपनियों में LIC का निवेश 4.31 लाख करोड़ रुपए था, जो उसकी कुल इक्विटी निवेश का करीब 45.85 फीसदी है।
आंकड़ों के मुताबिक:
अदाणी ग्रुप में निवेश की बात करें तो 30 सितंबर 2025 तक LIC का कुल निवेश (इक्विटी + डेट) 48,284.6 करोड़ रुपए था। इसमें इक्विटी का हिस्सा 38,658.85 करोड़ और डेट का हिस्सा 9,625.77 करोड़ रुपए है। साल 2007 में अप्रैल महीने में यह निवेश सिर्फ 2,041.6 करोड़ रुपए था। यानी पिछले 18 सालों में यह काफी बढ़ा है। हालांकि, मंत्रालय ने दोहराया कि यह बढ़ोतरी LIC के अपने निवेश नियमों और बाजार की स्थिति के हिसाब से हुई है, इसमें सरकार की कोई दखलंदाजी नहीं है।