सावधानी से चढें मिडकैप की सीढ़ी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 9:48 PM IST

इससे आप अपने निवेश का बेहतर प्रबंधन कर सकेंगे। कुछ फंडों में निवेश करने से बेहतर परिणाम का रिकॉर्ड रहा है। धीरे-मध्यम आकार की कंपनियां अपने कम राजस्व और मुनाफे के आधार के कारण अपने से बड़े आकार की कंपनियों की अपेक्षा तेजी से विकास करती है।

बड़े आकार की कंपनियों का छोटे या मध्यम आकार की तरह तेजी से विकास करना मुश्किल होता है। क्या इस बात की कल्पना की जा सकती है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज या हिन्दुस्तान यूनिलीवर एडुकॉम्प सॉल्युशन के  विकास की गति की बराबरी करे?

अगर इस पर विचार किया जाए तो इस कंपनी के मुनाफे में वर्ष 2003 से लेकर अब यानी वर्ष 2008 तक 128 प्रतिशत की सालाना बढ़ोतरी दर्ज की गई है और इस कंपनी का मुनाफा 2.43 करोड रुपये से बढ़कर 150 करोड़ रुपये हो गया।

अभी ऐसा ही लगता है कि कंपनी अपने विकास दर को बरकरार रखने में पूरी तरह से तैयार है। इसी तरह से दूसरा उदाहरण टाइटन इंडस्ट्रीज का है।

वर्ष 2003 में जब टाइटन इंडस्ट्रीज के मुनाफे में गिरावट देखी जा रही थी तो कंपनी ने नए उत्पाद को बाजार में उतारकर अपने कारोबार को फिर से दुरूस्त किया। इसके परिणामस्वरूप का कंपनी का मुनाफा वर्ष 2003 के 6 करोड रुपये के मुकाबले अब तक 88 प्रतिशत की बढोतरी केसाथ 100 करोड रुपये पहुंच गया है।

इन कंपनियों की सफलता का मुख्य कारण इन कंपनियों का आकार है या कहा जाए इनका आकार कम होना। ये कंपनियां अपने आकार के कारण ही इतनी तेजी से विकास कर पाने में सक्षम होती है। हालांकि इन विशेषताओं के अलावा कुछ खामियां भी हैं।

अर्थव्यवस्था में आई छोटी सी उठा-पटक से इन कंपनियों के कारोबार प्रभावित हो सकते हैं। इन छोटी कंपनियों के मुनाफे के 100 प्रतिशत तक के स्तर पर विकास केकई उदाहरण है, लेकिन इन कंपनियों के बंद होने या अपने शेयरधारकों के साथ कानूनी पचड़े में पड़ने के भी कई उदाहरण सामने आते हैं।

यह बात भी कई बार देखने को मिली है कि जिन मध्यम आकार की कंपनियों को बाजार की संभावित अगली अग्रणी कंपनियों केरूप में देखा जा रहा था, उन कंपनियों का अस्तित्व कहीं न कहीं खतरे में पड ग़या है।

अत: मध्यम आकार की कंपनियों केबारे में कोई भी बात करने से पहले सावधानी पूर्वक विश्लेषण की जरूरत होती है। कई बार तो यह देखने को मिला कि किसी कंपनी के पास सब कुछ है, मसलन पूंजी, उत्पाद, प्रबंधन, निवेशक और इसके सामानों की बिक्री केलिए बाजार भी लेकिन इसकेबावजूद इनसे विकास की जो अपेक्षा होती है उस पर ये पूरी तरह खरी नहीं उतर पाती हैं।

तकनीकी कंपनियों के जमाने में कुछ कंपनियां पेंटामीडिया ग्राफिक्स और सिल्वर लाइन टेक्नोलॉजी बाजार की प्रिय कंपनियों में एक थीं, लेकिन आज स्थिति यह है कि ये अपना अस्तित्व बचाने के लिए ही  संषर्ष कर रही हैं। इन कंपनियों के शेयर का कारोबार 1000 रुपये प्रति शेयर केहिसाब से हुआ करता था लेकिन आज इनके शेयर चवन्नी शेयर बनकर रह गए हैं।

सबसे ताजा तरीन घटनाक्रम के तहत पिछले साल दिसंबर में मध्यम आकार की कंपनियों के अंतर्गत सुचीबध्द 35 कंपनियों का बाजार पूंजीकरण सिकुड़ गया और इन कंपनियों का स्तर छोटे आकार की कंपनियों के बराबर आकर टिक गया।

मध्यम आकार की कंपनियों में निवेश करने में कुछ खतरे भी हैं और इनमें दीर्घ अवधि तक के निवेश करने केलिए बहुत ही धैर्य की जरूरत होती है। लेकिन अगर आपको लगता है कि आपने आगे जाकर इन्फोसिस जैसी बनने वाली कोई कंपनी ढूंढ ली है, तो रुकिए मत और जल्द से जल्द उसके शेयर खरीद लीजिए। बाकी बचे जिनकेपास की सीमित संसाधन हैं वो म्युचुअल फंड का रास्ता अपना सकते हैं।

बात जब म्युचुअल फंड की आती है तो फिर मध्यम आकार के फंडों केबारे में ऊहापोह की स्थिति रहती है क्योंकि हर एक योजना अपने आप को अलग तरीक से परिभाषित करती है।

कुछ लोग 150 से 1,500 करोड रुपये परिसंपत्ति की कंपनी को मध्यम आकार की कंपनी मानते हैं जबकि कुछ लोग इसके लिए दूसरा मापदंड निर्धारित करते हैं।

वैल्यू रिसर्च वाले ऐसी कंपनियों को मध्यम आकार का मानते हैं जिनके शेयर की हिस्सदारी समूची बाजार पूंजी की महज 20 प्रतिशत होता है जो कि बडे फंडों, जिनकी कि हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है, से कम होती है।

मध्यम आकार के फंड बडे आकार की फ डों की अपेक्षा ज्यादा उठा-पटक वाले होते हैं, इस साल की शुरूआत में कई फंडों ने बड़ी कंपनियों को इस अनिश्चिता से भरे शेयर बाजार से पार पाने में मदद के लिए सहारा दिया है।

लेकिन कुछ एसे फंड हैं जिन्होंने अभी भी अपना ध्यान मध्यम आकार की कंपनियों पर लगाए रखा है। ये मध्यम आकार के फंड निवेशकों केलिए सीधे शेयर में निवेश क रने की बजाय बेहतर विकल्प प्रदान करते हैं क्योंकि ये निवेशकों को बाजार में होनेवाली उठा-पटक से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

कुछ ऐसे फंड भी होते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। अगर किसी क्षेत्र में निवेश से घाटा होता है तो उस हालत में दूसरे क्षेत्र में हुए फायदे से उस घाटे की भरपाई की जाती है। अत: इन फंडों के द्वारा जो विविधता प्रदान की जाती है उसकी वजह से निवेशक काफी हद तक जोखिम से बच जाते हैं।

First Published : September 21, 2008 | 9:48 PM IST