कोरोना महामारी के बीच ठंडे पड़े बाजार में आवास ऋण ग्राहक खींचने के लिए तमाम बैंकों ने इस ऋण की ब्याज दर पिछले एक साल में कम की थी। इसमें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) काफी आगे था। उसने कई किस्तों में ब्याज दर कम की और उसे 6.7 फीसदी तक नीचे ले आया। मगर इस साल 31 मार्च को उसने यह पेशकश खत्म कर दी, जिसके बाद आवास ऋण पर न्यूनतम ब्याज दर बढ़कर 6.95 फीसदी हो गई थी। पिछला मौका चूके ग्राहकों के लिए देश का सबसे बड़ा बैंक एक बार फिर यह सहूलियत लाया है और ब्याज दर घटाकर 6.7 फीसदी कर दी गई है।
जोखिम प्रीमियम पर ध्यान
बैंक ने अपने कर्ज पर जोखिम यानी रिस्क प्रीमियम कम किया है, जिससे ब्याज दर कम हो गई है। अक्सर ऐसा ही होता है। आवास ऋण की ब्याज दर बेंचमार्क दर और जोखिम प्रीमियम को जोड़कर निकाली जाती है। रिस्क प्रीमियम ग्राहक के क्रेडिट स्कोर से जुड़ा होता है। अगर स्कोर कम होता है तो बैंक जोखिम से बचने के लिए रिस्क प्रीमियम जोड़ देते हैं। स्कोर जितना कम होगा, रिस्क प्रीमियम उतना अधिक होगा और स्कोर बढिय़ा हुआ तो रिस्क प्रीमियम खत्म हो जाता है। माईलोनकेयर डॉट इन के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी गौरव गुप्ता का कहना है, ‘कर्ज लेने वाले तुरंत हरकत में आकर एसबीआई के कम प्रीमियम का फायदा उठा सकते हैं। आगे बेंचमार्क रीपो रेट में कितना भी बदलाव हो, कम प्रीमियम का फायदा उन्हें मिलता रहेगा।’
जो प्रीमियम एक बार लगा दिया जाता है, वह मुश्किल से ही बदलता है। उसमें बदलाव तभी आएगा, जब ग्राहक की जोखिम श्रेणी बदलेगी। अगर ग्राहक अपनी मासिक किस्त का भुगतान नहीं कर पाता है या उसका रोजगार बदल जाता है, जैसे वह नौकरी छोड़कर खुद का व्यवसाय आदि शुरू कर देता है तभी उसकी जोखिम श्रेणी बदली जाती है। बैंकबाजार डॉट कॉम के मुख्य कार्य अधिकारी आदिल शेट्टी भी कम स्प्रेड वाला बैंक चुनने की सलाह देते हैं। बैंकिंग उद्योग में स्प्रेड दर बैंक की उधारी दर और जमा दर के बीच अंतर को कहते हैं। वह कहते हैं, ‘ऋण अवधि के दौरान जब तक ग्राहक के क्रेडिट स्कोर में बड़ा बदलाव नहीं होता तब तक उसके स्प्रेड में भी ज्यादा बदलाव की संभावना नहीं रहती।’
क्या दर मिलेगी आपको
बैंकों और आवास वित्त कंपनियों (एचएफ सी) में मुख्य दरें आम तौर पर कम ही रहती हैं मगर आपको किस दर पर कर्ज मिलेगा, यह कई दूसरी बातों पर भी निर्भर करता है। सबसे अहम बात आपका क्रेडिट स्कोर है। डिजिटल होम लोन ब्रोकर स्विचमी के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी आदित्य मिश्र कहते हैं, ‘एसबीआई जैसे बैंक में जोखिम की 6 श्रेणी यानी 6 रिस्क ग्रेड होते हैं और उन्हीं से तय होता है कि ग्राहक को किस ब्याज दर पर कर्ज दिया जाएगा। किसी भी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर यह तय करने में सबसे अहम भूमिका निभाता है कि उसे किस रिस्क ग्रेड में रखा जाएगा।’
आपकी ब्याज दर इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपने आवास ऋण की कौन सी योजना चुनी है। मिसाल के तौर पर स्टेट बैंक की एक योजना का नाम मैक्सगेन (दूसरे बैकों के पास भी इसी तरह की योजनाएं हैं) है। मान लीजिए कि आप 1 करोड़ रुपये का आवास ऋ ण लेते हैं और बाद में अचानक आपको कहीं से 10 लाख रुपये मिल जाते हैं। इस रकम को आप अपने ऋण खाते में जमा करा सकते हैं। इससे आपका मूलधन घटकर 90 लाख रुपये हो जाएगा। बाद में अगर आपको 5 लाख रुपये की जरूरत पड़ती है तो आप उसे ऋण खाते से निकाल सकते हैं। उसके बाद आपका मूलधन 95 लाख रुपये माना जाएगा। मिश्र कहते हैं, ‘इस तरह की योजना में आपको समय से पहले भुगतान करने का फायदा मिलता है और नकदी की सहूलियत भी मिल जाती है। मगर ऐसी योजनाओं में ब्याज दर कुछ ज्यादा होती है। मैक्सगेन योजना में ब्याज दर सामान्य आवास ऋण की ब्याज दर से 35 आधार अंक अधिक है।’
ब्याज दर कर्ज की रकम पर भी निर्भर करती है। कर्ज जितना ज्यादा होगा, जोखिम भी उतना ही ज्यादा होगा और ब्याज दर भी उतनी ही अधिक रखी जाएगी। कर्ज और संपत्ति की कीमत का अनुपात (एलटीवी रेश्यो) भी ब्याज दर पर असर डालता है। शेट्टी समझाते हैं, ‘अगर आपका एलटीवी कम है तो संपत्ति में आपका ज्यादा दांव पर है। ऐसे में बैंक का जोखिम कम हो जाता है, जिसे देखते हुए वह कम ब्याज दर वसूलता है।’ कर्ज जितनी कम अवधि के लिए लिया जाता है, ब्याज दर भी उतनी ही कम होती है।
कारोबारियों और खुद के रोजगार वाले पेशेवरों से आम तौर पर वेतनभोगी कर्जदारों के मुकाबले 15 से 50 आधार अंक अधिक ब्याज वसूला जाता है। अगर कर्ज लेने वालों में महिला को भी शामिल किया जाता है तो बैंक 5 आधार अंक की छूट दे सकते हैं।
तो आप क्या करें?
कर्ज के लिए आवेदन करने से पहले अपना क्रेडिट स्कोर जांच लें। अगर आपको क्रेडिट स्कोर में ज्यादा या बिना वजह कमी दिख रही है तो उसके कारणों की पड़ताल करें। कई बार बैंक की गलती से भी स्कोर में कमी आ जाती है। उस सूरत में पहले उस गलती को ठीक कराएं और स्कोर बढ़वाएं। उसके बाद ही कर्ज के लिए अर्जी डालें। अंत में याद रखिए कि कर्ज के बाजार में भी तगड़ा मुकाबला है। अगर आप जमकर मोलभाव करने की क्षमता रखते हैं तो आप कम दर पर ही कर्ज पाने में कामयाब हो जाएंगे।