वित्त-बीमा

BS BFSI Summit: मूल्यवर्धित सेवाओं के माध्यम से जमा जुटाने पर बैंकों का ध्यान

शेट्टी ने यह भी कहा कि म्युचुअल फंड और जमा, प्रतिस्पर्धी उत्पाद नहीं हैं बल्कि एक दूसरे के पूरक हैं।

Published by
अंजलि कुमारी   
Last Updated- November 07, 2024 | 12:23 AM IST

BS BFSI Summit: बैंक इस समय जमा जुटाने के लिए खातों से जुड़ी मूल्यवर्धित सेवाओं को प्राथमिकता देने के साथ ग्राहकों के साथ संबंध मजबूत कर रहे हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने बुधवार को कहा कि जहां तक जमा खातों का सवाल है, बैंक परंपरागत लेन-देन करने वाले खातों से आगे बढ़कर समग्र सेवा मॉडल अपना रहे हैं।

बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में देश के सबसे बड़े बैंक के चेयरमैन ने कहा कि परंपरागत रूप से बचत खाता को प्राथमिक लेन-देन के माध्यम के रूप में देखा जाता था, जिसमें ग्राहकों की सहभागिता पर कम जोर दिया गया। बहरहाल आज पूरे उद्योग में इन मूल्यवर्धित सेवाओं को सार्थक तरीके से मुहैया करने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘आज हम सभी जमा आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसकी वजह से ग्राहकों पर मूल्यवर्धित सेवाओं के माध्यम से आकर्षित करने की कवायद की जा रही है, जो उसके खाते से जुड़े होते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘पहले बचत खाते खासकर लेनदेन खाते होते थे। जब तक इसे लेन-देन के खाते के रूप में देखा जाता रहा, इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।’

उन्होंने कहा कि आज की तारीख में हमारे में से हर कोई अपने ग्राहकों को ज्यादा बेहतर तरीके से मूल्यवर्धित सेवाएं देने के बारे में सोच रहा है। उन्होंने कहा कि इसका यह मतलब नहीं है कि ग्राहक सेवाएं त्रुटिपूर्ण थीं या बैंक ग्राहकों के बारे में संवेदनशील नहीं थे, लेकिन अब उन पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है और कवायद की जा रही है कि हम अपने जमाकर्ताओं के लिए और क्या कर सकते हैं।

शेट्टी ने यह भी कहा कि म्युचुअल फंड और जमा, प्रतिस्पर्धी उत्पाद नहीं हैं बल्कि एक दूसरे के पूरक हैं। म्युचुअल फंड निवेशों पर ध्यान बढ़ाने के बजाय स्टेट बैंक जमा आकर्षित करने पर प्राथमिकता जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि स्टेट बैंक का ग्राहक आधार की म्युचुअल फंड में तुलनात्मक रूप से कम है। इसमें जनधन जैसे बड़े खाते शामिल नहीं हैं, जिसे वित्तीय निवेश के लिए डिजाइन नहीं किया गया है। ऐसे में म्युचुअल फंड सेग्मेंट ग्राहकों के लिए अतिरिक्त विकल्प के रूप में काम करता है, न कि जमा की जगह लेता है।

उन्होंने कहा, ‘स्टेट बैंक में म्युचुअल फंड की पहुंच हमारे ग्राहक आधार का 1.14 प्रतिशत तक है। इसका मतलब है कि यह प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहा है, बल्कि जमा और म्युचुअल फंड एक दूसरे का पूरक हैं। इस तरह से अगर आप देखें तो पहुंच बहुत कम है।’

बैंकों के ऋण जमा अनुपात की चिंता के बारे में उन्होंने कहा कि जमा और ऋण में वृद्धि स्वाभाविक रूप से समय से साथ तालमेल बना लेगा। यह संतुलन होना ही है। यह सतत, स्वीकार्य समायोजन प्रक्रिया है। उन्होंने कहा, ‘जमा और ऋण वृद्धि कहीं न कहीं जाकर कुछ संतुलन पाते हैं। मुझे लगता है कि यह होना ही है। चाहे ऋण की जरूरतें पूरी करने के लिए जमा में तेजी आए या जमा की जरूरतें पूरी करने करने के लिए ऋण में कमी आए। इस मामले में एक सतत समायोजन होता रहेगा।’

शेट्टी ने कहा कि असुरक्षित ऋण की वृद्धि में आई सुस्ती मुख्य रूप से बढ़ते जोखिम की वजह से है। लेकिन इसकी एक बड़ी वजह यह है कि असुरक्षित ऋण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और सूक्ष्म वित्त कंपनियों (एमएफआई) के माध्यम से दिया जाता है, जिसमें गिरावट आ रही है।

बैंक की विभिन्न सहायक कंपनियों में पूंजी पर्याप्तता के सवाल पर शेट्टी ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर स्टेट बैंक अपनी सहायक कंपनियों में कुछ हिस्सेदारी बेचने या मूल्यवर्धन होने पर उन्हें सूचीबद्ध करने के विचार को लेकर खुला है, लेकिन ऐसी कार्रवाई के लिए तत्काल कोई योजना नहीं है। प्राथमिकता यह सुनिश्चित करने की है कि ऐसे किसी कदम पर विचार करने से पहले ये इकाइयां बाजार के हिसाब से मजबूत स्थिति में हों।

स्टेट बैंक ने अपनी गैर-बैंकिंग सहायक कंपनियों के साथ महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, जिनमें एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस, एसबीआई कार्ड्स ऐंड पेमेंट सर्विसेज, एसबीआई म्युचुअल फंड और एसबीआई जनरल इंश्योरेंस शामिल हैं। इन कंपनियों ने न केवल मूल कंपनी के लिए मूल्य सृजन में योगदान दिया है, बल्कि वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इनमें से एसबीआई ने एसबीआई लाइफ और एसबीआई कार्ड्स को सूचीबद्ध कराया है, जिनका बाजार पूंजीकरण आज करीब 2.2 लाख करोड़ रुपये है और इसमें से प्रमोटर की हिस्सेदारी का मूल्य 1.35 लाख करोड़ रुपये है।

First Published : November 7, 2024 | 12:23 AM IST