Overseas fund raising: पिछले साल भारतीय कंपनियों ने विदेशों से कम पूंजी जुटाई थी मगर 2024 में इसमें तेजी देखी जा रही है। तरलता बढ़ने और हेजिंग की लागत कम होने से अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की ओर से ज्यादा रिटर्न वाले बॉन्डों की मजबूत मांग देखी जा रही है।
प्राइम डेटाबेस द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि भारत की कंपनियों ने जनवरी से जून के दौरान ओवरसीज बॉन्डों से 32,619 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जो 2023 में इसके जरिये जुटाई गई कुल रकम से अधिक है। 2023 में कंपनियों ने ओवरसीज बॉन्डों से 31,218 करोड़ रुपये जुटाए थे और 2022 में 45,237 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई थी। वर्ष 2021 की बात करें तो देसी कंपनियों ने ओवरसीज बॉन्डों से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे।
2023 में फेडरल रिजर्व द्वारा दरें बढ़ाए जाने से वैश्विक यील्ड ज्यादा थी जिसकी वजह से भारतीय कंपनियां ओवरसीज बॉन्डों से पूंजी जुटाने में परहेज कर रही थीं। उस दौरान कंपनियों ने घरेलू बाजार से अच्छी खासी उधारी जुटाई थी।
रॉकफोर्ट फिनकैप के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, ‘कंपनियां अलग-अलग माध्यमों से उधारी जुटा रही हैं, इस बीच हेजिंग लागत भी कम हुई है और वे विदेशी बाजारों का रुख इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि घरेलू बाजार से बड़ी मात्रा में पूंजी जुटाने में कंपनियां सक्षम नहीं हैं। अपेक्षाकृत कम रेटिंग वाली कंपनियों को घरेलू बाजार में निवेशक भी कम मिलते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘बैंकों द्वारा एनबीएफसी को दिए जाने वाले ऋण को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सर्कुलर के बाद बैंक भी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को कम ऋण दे रहे हैं।’
पिछले साल नवबर में RBI ने NBFC को दिए जाने वाले बैंक ऋण का जोखिम भार बढ़ा दिया था और NBFC को पूंजी की जरूरतों के लिए बैंकों से इतर उपाय तलाशने के लिए कहा था।
सूत्रों के अनुसार हाल के समय में उधारी गतिविधियों में तेजी आई है और स्प्रेड भी सुधरा है मगर दरें अभी भी ऊंची हैं। ऐसे में कंपनियां डॉलर बॉन्ड बाजार का रुख कर रही हैं।
जोखिम भार (रिस्क वेटेज) बढ़ाए जाने के बाद NBFC भी पूंजी के लिए घरेलू बॉन्ड बाजार या विदेशी बॉन्ड बाजार में जा रहे हैं। आरबीआई के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि एनबीएफसी को दिए जाने वाले बैंकों के ऋण में अप्रैल के दौरान 14.4 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि नवंबर 2023 में 18.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी।
एक्विरस कैपिटल में फिक्स्ड इनकम प्रमुख विनय पई ने कहा कि हेजिंग लागत घटने और अमेरिका में दर कटौती के बाद भारत में भी दरें घटने में हो रही देर को देखते हुए कुछ कंपनियां विदेशी बाजार से ऋण जुटाने में लगी हैं।
इस साल कई NBFC ने भी डॉलर बॉन्ड के जरिये पूंजी जुटाई है। श्रीराम फाइनैंस, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस, मुथुट फाइनैंस और मणप्पुरम फाइनैंस ने इस साल डॉलर बॉन्ड से पूंजी जुटाई है। इसके अलावा पीरामल कैपिटल ऐंड हाउसिंग फाइनैंस भी विदेशी बाजार से पूंजी जुटाने की संभावना तलाश रही है।