गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) अपनी नकदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए कॉरपोरेट बॉन्ड का रुख कर सकती हैं। बाजार सूत्रों के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों और एनबीएफसी के जोखिम उधारी के संबंध में कड़े प्रतिबंधों की घोषणा किए जाने के बाद एनबीएफसी इस विकल्प को अपना सकती हैं।
इस साल मार्च तक एनबीएफसी नकदी के लिए मुख्य तौर पर बैंक उधारी पर आश्रित रहती थीं। एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के रिपोर्ट एनबीएफसी ने इस साल मार्च तक अपनी कुल नकदी का करीब 41.2 प्रतिशत बैंकों से जुटाया।
केंद्रीय बैंक ने एनबीएफसी के बैंकों के ऋण जोखिम पर जोखिम भार में 25 प्रतिशत की वृद्धि लागू की है और यह इन गैर बैंक ऋणदाताओं की रेटिंग से पहले से जुड़े जोखिम भार के अतिरिक्त है। यह समायोजन तभी लागू होती है जब एनबीएफसी की रेटिंग के आधार पर वर्तमान जोखिम भार 100 प्रतिशत से कम हो।
एनबीएफसी के बैंक ऋण के लिए जोखिम भार में वृद्धि एनबीएफसी के एएए, एएएए और ए पर लागू होंगी। अभी बीबीबी+ और अन्य सभी के लिए जोखिम भार 100 प्रतिशत है।
इक्विरस कैपिटल में फिक्स्ड आय के प्रमुख विनय पई के अनुसार, ‘कई एनबीएफसी को अपने बिज़नेस मॉडल पर फिर से विचार करना पड़ सकता है। वे हालिया समय में पूंजी की पर्याप्त जरूरतों को पूरा करने के लिए बॉन्ड मार्केट का रुख कर सकते हैं।’
एनबीएफसी के समक्ष विकल्प है कि वे वाणिज्यिक पत्रों के जरिये नकदी जुटा सकते हैं लेकिन अल्पकालिक ऋण जुटाने के तरीकों पर अत्यधिक निर्भरता से परिसंपत्ति देयता बेमेल हो सकती है।
जेएम फाइनैंशियल के संस्थागत निश्चित आय के प्रमुख व प्रबंध निदेशक अजय मंगलुनिया ने कहा, ‘स्वाभाविक तौर पर सीपी से उधार लेना सस्ता होगा लेकिन अगर सीपी से अत्य़धिक उधार लिया जाता है तो एनबीएफसी एएलएम जोखिम पैदा करेंगे और इसे बाजार पसंद नहीं करेगा।’