शेयर बाजार में मंदी और कम होते भावों के बीच फिलहाल 23 कंपनियां निवेशकों से अपने शेयरों का एक हिस्सा वापस खरीदने (बायबैक) की योजना बना रही है।
कुल मिलाकर ये कंपनियां 3,355.11 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की खरीदारी करने वाली है। इन कंपनियों में डीएलएफ, गोदरेज कंज्यूमर, बॉश और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं।
अधिकांश निवेशकों के लिए बायबैक की खबर खुशी की हो सकती है क्योंकि कंपनियां अपने शेयरों के लिए बाजार मूल्य से अधिक कीमत का भुगतान करती हैं। बाजार की बेहतर समझ रखने वाला निवेशक इस अवसर का लाभ उठाते हुए अच्छे पैसे कमा सकता है।
मतलब, बाजार से कम मूल्य पर शेयर खरीद कर उसे अधिक कीमत पर कंपनी को बेच कर मुनाफा कमाया जा सकता है। यद्यपि, यह नीति दीर्घावधि की नहीं है लेकिन कोई निवेशक अपने कारोबारी पोर्टफोलियो के एक हिस्से का प्रयोग करते हुए इस आर्बिट्राज अवसर का लाभ उठा सकता है।
विभिन्न वजहों से कोई कंपनी अपने शेयरों की बायबैक करती है। इससे निवेशकों की धारणाएं मजबूत होती हैं और प्रबंधन का भरोसा भी सामने आता है। वर्तमान बाजार परिस्थितियों में बायबैक निवेशकों को यह संदेश भी देता है कि कंपनी के पास नकदी की कमी नहीं है।
लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण है कंपनी का मूल्यांकन। शेयर ब्रोकिंग कंपनी एमके के शोध प्रमुख दलजीत एस कोहली ने कहा, ‘जब प्रवर्तकों कोलगता है कि शेयर के मूल्य अंदरुनी मजबूती और विकास की संभावनाओं को प्रदर्शित नहीं कर रहे तो वे बायबैक की घोषणा करते हैं।’
बायबैक से कंपनी की प्रति शेयर आय में बढ़ोतरी होती है, परिणामस्वरूप इससे शेयर की कीमतों में सकारात्मक बदलाव होता है।
कंपनी दो तरीकों से शेयरों की वापस खरीदारी करती है। पहला, कंपनियां खुले बाजार से अपने शेयर खरीद सकती हैं। दूसरे मामले में, निविदा पेशकश के जरिये वे सीधे शेयरधारकों से खरीदारी करती हैं। खुले बाजार से खरीदारी करने में कंपनी शेयर मूल्य की उच्चतम सीमा निर्धारित करती है।
कंपनी द्वारा निर्धारित उच्चतम मूल्य से अधिक कीमत पर कंपनी खरीदारी बेद कर सकती है। शेयरों की खरीदारी दीर्घावधि में की जा सकती है। कुछ मामलों में, बायबैक में कंपनियां एक साल तक का समय लगाती हैं।
निविदा पेशकश में शेयरधारकों को एक निश्चित कीमत का भुगतान किया जाता है। पंद्रह दिनों की निर्धारित अवधि में शेयरधारकों को अपना शेयर कंपनी को बेचना होता है।
केजरीवाल रिसर्च और इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के निदेशक और निवेश सलाहकार अरुण केजरीवाल ने कहा, ‘जब कभी कंपनियां बायबैक की निविदा प्रक्रिया लाने वाली होती है तो आर्बिट्राज का अच्छा अवसर उपलब्ध होता है।’
निविदा पेशकश में आर्बिट्राज किस प्रकार काम आता है इसे समझने के लिए हम एबॉट इंडिया का उदाहरण लेते हैं। पिछले साल इस कंपनी ने 630 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से अपने कुल शेयर के 3.8 प्रतिशत की खरीदारी की थी। जब 11 जुलाई को बायबैक की घोषणा की गई तो प्रत्येक शेयर की कीमत 550.15 रुपये थी।
मान लेते हैं कि किसी निवेशक ने कंपनी के 100 शेयर खरीदे थे और निविदा पेशकश के तहत उसने शेयरों को वापस कंपनी को भेज दिया। एबॉट जितने शेयरों की बायबैक करना चाहती थी उससे चार गुना अधिक शेयर इसे भेजे गए।
100 शेयरों में से 25 शेयरों की खरीदारी कंपनी ने की होती। 25 शेयरों पर निवेशक को 1,196.25 का लाभ हुआ होता। एक महीने से कम समय में 25 शेयरों पर निवेशक को 14.51 प्रतिशत का लाभ होता है।
और कुल निवेशित राशि पर उसे 3.54 प्रतिशत का लाभ हुआ होता। उसके पास अभी भी 75 शेयर पड़े हुए हैं जिसे वह भविष्य में कभी भी बेच सकता है।
ऐसे पेशकश में निवेशक तीन परिस्थितियों में अच्छा-खासा लाभ अर्जित कर सकता है। बाजार मूल्य और घोषित की गई बायबैक की कीमत के बीच का अंतर तो स्पष्ट है ही। अभिदान के समय अगर कीमत कम रही हो तब भी रिटर्न बेहतर हो सकता है।
आर्बिट्राज से होने वाला लाभ तब और बढ़ सकता है जब कंपनी द्वारा बड़ी संख्या में शेयर खरीदे जा रहे हों। हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ऐसे अवसर खुले बाजार वाली पेशकश में उपलब्ध नहीं होते क्योंकि समय सीमा अधिक होती है और कंपनी किसी भी समय शेयरों की बायबैक कर सकती है।
जहां तक आयकर की बात है तो कंपनी द्वारा शेयरों की सीधे खरीदारी करने के कारण सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन कर नहीं लगाया जाता है।
इसलिए लाभ ‘अन्य स्रोतों से होने वाले लाभ’ की श्रेणी में आता है। निवेशक जिस कर वर्ग में आता है उसे तदनुरूप कर का भुगतान करना होता है।
बायबैक के दौरान आर्बिट्राज से लाभ कमाने का बेहतर अवसर होता है लेकिन इसके साथ इक्विटी बाजार का जोखिम संबध्द हाता है। अगर किसी व्यक्ति को अधिक शेयर मिलते हैं तो उसे निर्णय लेना होता है कि उसे तुरंत बेच दे या भविष्य में उससे लाभ अर्जित करे।
इसके अतिरिक्त, उधार लेकर आर्बिट्राज से लाभ कमाने की कोशिश भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह तय नहीं होता कि कंपनी कितने शेयर खरीदने वाली है।
और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि तुरंत पैसे कमाने के लिए अपने ट्रेडिंग पोर्टफोलियो के एक हिस्से का ही इस्तेमाल करें। अपने मूल पोर्टफोलियो को इसके लिए कभी प्रयोग में नहीं लाएं।