क्रेडिट कार्ड में हो रही बढ़ोतरी पर लगातार नजर रखने की जरूरत है। पुनर्भुगतान में की गई कोई भी देरी से फाइनेंस स्तर पर बुरा असर पड़ सकता है क्योंकि देरी होने पर ब्याज खर्च और अन्य खर्चे जुड़ जाएंगे।
ठीक इसी समय क्रेडिट कार्ड कंपनियां ग्राहकों को लुभावने ऑफर देती हैं। इन ऑफरों का उद्देश्य ग्राहकों को उनके मौजूदा बैंकों से दूर रखना है। इन्हीं कुछ लुभावने ऑफरों में से एक है बैलेंस ट्रांसफर फेसेलिटी। इसके तहत एक व्यक्ति एक क्रेडिट कार्ड पर से आउटस्टैंडिंग एमाउंट का स्थानांतरण दूसरे क्रेडिट कार्ड पर कर सकते हैं।
लगभग हमेशा इन पर कुछ अतिरिक्त सुविधाएं भी मिलती है और इसकेतहत कुछ खास समय तक के लिए बैलेंस पर ब्याज नहीं लगता है या फिर कुछ शुरूआती महीनों तक ब्याद दरें काफी कम होती है। जब इतने लुभावने ऑफर मिलते हैं तो निश्चित तौर पर कार्डधारकों के मन में एक सवाल खड़ा होता है कि इस ऑफर को ले या न लें।
ऐसे लोग जो शुरुआत करतें हैं वो अगर बैंक द्वारा दी जा रही सेवा और सुविधाओं से संतुष्ट नहीं रहते हैं तो इसका एक सामान्य कारण बैंक द्वारा के्र डिट कार्ड आउस्टैंडिंग पर बहुत उंची ब्याज दरों का होना होता है। इसके अलावा सेवाओं संबंधित मुद्दे जैसे बिलों का समय पर न मिलना, बिलों में खामियां या उनके भुगतान करने की तिथि में सहजता का अभाव आदि ऐसे अन्य सामान्य कारण भी हैं जोकि परेशानी का कारण होते हैं।
इस तरह की परिस्थिति में व्यक्ति द्वारा बैंक और उनके क्रे डिट कार्ड में बैलेंस ट्रांसफर केजरिए परिवर्तन करना बेहतर विकल्प हो सकता है। इसके बाद भी इस तरह की परिस्थिति आ सकती है जबकि कोई व्यक्ति कर्ज मुहैया कर पाने में अक्षम हो सकता है। इसके लिए दो तरह की परिस्थितियां जिम्मेदार हो सक ती हैं जिसमें से एक अस्थाई परिस्थिति है।
इस अस्थाई परिस्थिति में किसी व्यक्ति का तत्काल कैश फ्लो बुरी तरह से प्रभावित हुआ हो और वह पिछले कुछ महीनों के दौरान जमा हुए कर्ज का भुगतान करने में परेशानी महसूस करने लगे। दूसरी परिस्थिति यह हो सकती है कि कि कर्ज में काफी बढ़ोतरी हो जाए जिससे कि इसको चुकता करने में, कम से कम छोटी अवधि केलिए, परेशानी का अनुभव होने लगे।
इस परिस्थितियों में बैंलेंस ट्रांसफर की सुविधा लेने से तत्काल दबाव का कुछ समय के लिए कम हो जाना सुनिश्चित हो जाएगा। इससे उस व्यक्ति को अपने आप को संगठित करने का मौका मिलेगा और परिस्थितियों में सुधार होने पर वह फिर से पुनर्भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर देगा। हालांकि सिर्फ पुनर्भुगतान करने के लिए समय लेना मददगार नहीं साबित नहीं होगा।
बैंलेंस ट्रांसफर प्रक्रिया को कोई व्यक्ति उस समय अपना सकता है जबकि उन्हें कोई विशेष ऑफर दिए जाते हों। उदाहरण के लिए एक स्थिति यह हो सकती है जब बैंक लंबी अवधि वाले, मसलन छह महीने से एक साल तक की अवधि केलिए ब्याज पूरी तरह से हटा दे। इससे कार्डधारक को एक बढ़िया ऑफर मिलेगा जिससे कि ब्याज मुक्त क्रेडिट का लाभ मिलेगा और इसलिए यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
ठीक इसी समय पुनर्भुगतान की संरचना भी उपलब्ध कराई जा सकती है जिससे कि कार्डधारकों के लिए भुगतान करना और आसान हो जाता है। निश्चित तौर पर कुछ ऐसी बातें भी है जैसे बेहतरीन सुविधाएं जिसमें कि ब्याज में छूट की अधिक सीमा, कम ब्याज दर और बिल भुगतान करने के लिए सहज तारीख आदि शामिल हैं,जिससे कि प्रभावित होकर कार्डधारक होकर दूसरे बैंकों की तरफ रूख कर सकते हैं।
हालांकि इन सब बातों के बाद भी कुछ सावधानी बरतने की जरूरत है। कुछ बैंकों में ब्याज दर शुरूआती कुछ महीनों में शून्य हो सकती है और यह दर आपके मौजूदा बैंक से ऊंची हो सकती है। इस तरह की परिस्थितियों में यह अंतरिम राहत सिर्फ कुछ समय के लिए आकर्षक हो सक ती है। अगर आप पुनर्भुगतान करने को लेकर आश्वस्त नहीं है तो इन ऑफरों से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
इसके अलावा एक और रणनीति आप बना सकते हैं और वह यह कि ब्याज मुक्त अवधि में बैंलेंस को इतना कम दिया जाए कि जब ब्याज दरों में बढ़ोतरी हो तो उस समय फाइनेंस पर कोई असर नहीं पड़े। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी हालत में आपको कर्ज के बकाए का यानी आउटस्टैंडिंग का भुगतान करना ही है। दूसरे क्रेडिट कार्ड का चयन करने से आप बढ़ते ब्याज दरों के बोझ से बच सकते हैं, हालांकि यह राहत अस्थायी ही होगी। इस अवसर का लाभ उठाकर कर्ज का दबाव कम करें और साथ ही एक बार जब आप अपने आउटस्टैंडिग को कम करने में सक्षम हो गए हैं तो स्पलर्जिंग न करें।
बकाया : 35,000 रुपये
प्रतिमाह ब्याज की दर: 2.95 प्रतिशत
न्यूनतम भुगतान(5 प्रतिशत की दर पर ) : 980.87 रुपये
बैलेंस ट्रांसफर : 35,000 रुपये
तीन महीने केलिए ब्याज दर का कोई भुगतान नहीं : 2,873.43 रुपये (ब्याज सुरक्षित)
(लेखक प्रमाणित वित्तीय योजनाकार हैं)