बैंकों द्वारा दिए जा रहे कर्ज में तेज वृद्धि और संपत्ति की गुणवत्ता बेहतर रहने के कारण मार्च 2024 में समाप्त चौथी तिमाही (वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही) में सूचीबद्ध वाणिज्यिक बैंकों की कमाई में तेज वृद्धि होने की संभावना है।
ब्लूमबर्ग के विश्लेषण में अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2024 की अंतिम तिमाही में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में मुनाफा 9.6 प्रतिशत बढ़ सकता है, वहीं ब्याज से शुद्ध आमदनी (एनआईआई) में 8.7 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है।
घरेलू ब्रोकरेज मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के मुताबिक बैंकों द्वारा दिए गए ऋण में वृद्धि की दर तेज रही है, वहीं बैंकों द्वारा आक्रामक रूप से धन जुटाने की कवायद और प्रतिस्पर्धी दरों के कारण जमा में भी वृद्धि हुई है। ब्रोकरेज ने चौथी तिमाही के परिणामों की समीक्षा में कहा है कि इसकी वजह से मार्च 2024 में ऋण और जमा के बीच अंतर घटकर करीब 3.4 प्रतिशत रह गया है।
सेंट्रम इक्विटी रिसर्च ने उम्मीद व्यक्त की है कि बैंक अपने लोन बुक और जमा में वृद्धि के अनुमान को वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में बरकरार रख पाएंगे और इसे उद्योग की अनुकूल धारणा और उत्पादों के विस्तार से समर्थन मिलेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि 22 मार्च, 2024 तक पिछले साल की समान अवधि की तुलना में बैंकों द्वारा दिया गया ऋण 20.2 प्रतिशत बढ़कर 164.34 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जबकि जमा में 13.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह 204.75 लाख करोड़ रुपये हो गया है। बैंकिंग उद्योग के प्रदर्शन पर ऋणदाता एचडीएफसी के एचडीएफसी बैंक के साथ विलय का भी असर पड़ा है।
मोतीलाल ओसवाल ने कहा कि देनदारियां पूरी करने के लिए सावधि जमा दरें बढ़ी हैं, जिसकी वजह से ब्याज से शुद्ध मुनाफे (एनआईएम) पर दबाव पड़ने की संभावना है। केयर रेटिंग्स के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही के दौरान बैंकों का एनआईएम पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 16 आधार अंक घटकर 3.14 प्रतिशत रह गया है।
इन आंकड़ों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनआईएम 12 आधार अंक घटकर 2.77 प्रतिशत और निजी बैंकों में 32 आधार अंक की तेज गिरावट के साथ एनआईएम 3.75 प्रतिशत पर पहुंच गया है। वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में एनआईएम 3.28 प्रतिशत रहा है।
इसके अलावा ब्याज से आमदनी और चौथी तिमाही में बॉन्ड कमजोर रहने से निचले स्तर पर लाभ की संभावना है। कुल मिलाकर 10 साल के जी-सेक का यील्ड 12 आधार अंक घटकर चौथी तिमाही में 7.07 प्रतिशत रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक की अप्रैल 2024 की मौद्रिक नीति रिपोर्ट के मुताबिक इसमें गिरावट की धारणा जारी रही है, क्योंकि तीसरी तिमाही में भी यील्ड 2 आधार अंक कम हुआ था।
एक निजी बैंक के ट्रेजरी एग्जिक्यूटिव ने कहा, ‘कुछ ट्रेजरी लाभ भी होगा। चौथी तिमाही में प्रॉविजनिंग के उलटने के कारण लाभ होगा।’ संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार जारी रहने की संभावना है। इसमें चूक नियंत्रण में रहेगी और इसे तेज वसूली से मदद मिलेगी।