निजी क्षेत्र के ऋणदाता येस बैंक को एसबीआई समेत कुछ निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा आरबीआई के प्रतिबंधों के दबाव से निकालने के प्रयासों के इस महीने दो साल पूरे हो गए हैं। दो साल पहले येस बैंक को आरबीआई की सख्ती के बाद से वित्तीय स्थिति में कमजोरी और कोष उगाही में असमर्थता का सामना करना पड़ा था।
जहां सुधार और वृद्घि एवं ग्राहकों के भरोसे में मजबूत आई है, वहीं इस ऋणदाता के लिए आगामी राह और प्राथमिकताएं समझने के लिए यह सही समय है। पहले वर्ष बैंक को काफी कठिन दौर से गुजरना पड़ा, परिचालन पुन: शुरू करने और एसबीआई के नेतृत्व में कई वाणिज्यिक बैंकों से समर्थन हासिल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। एसबीआई ने इसमें 10,000 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी लगाई। निजी क्षेत्र के इस ऋणदाता की स्थापना वर्ष 2004 में राणा कपूर द्वारा की गई और अब यह एसबीआई का सहायक है।
एसबीआई के मुख्य वित्तीय अधिकारी प्रशांत कुमार ने मार्च 2020 के शुरू में इस संकटग्रस्त ऋणदाता के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी की कमान संभाली थी। कुमार ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि हमें जो कार्य सौंपा दिया गया था, वह ऐसे बैंक का कायाकल्प करने से जुड़ा था जो लगभग एकदम बंद हो गया था। उन्होंने कहा, ‘बैंक ने न सिर्फ सुधार दर्ज किया है बल्कि वह विकास की राह पर भी आगे बढ़ रहा है। बैंक को तरलता के संदर्भ में समस्याओं का सामना करना पड़ा था, लेकिन अब पूंजी जुटाई जा चुकी है।’
कायाकल्प के चार महीनों के अंदर बैंक ने जुलाई 2020 में फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर के जरिये 15,000 करोड़ रुपये जुटाए। बेहद महत्वपूर्ण पहलू ग्राहकों का भरोसा है, जिसमें डिपोजिटरी भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा, ‘बैंक हर महीने 100,000 ग्राहक जोड़ रहा है, चालू एवं बचत बैंक खाते खोल रहा है और आज उसके सभी वित्तीय मानकों में सुधार आया है। वृद्घि के लिहाज से वित्त वर्ष 2023 एक महत्वपूर्ण और आधार वर्ष होगा।’
