क्रेडिट कार्ड के कारोबार में लगातार बढ़ते जोखिम और बढ़ते बकाये से आजिज बैंकों ने अपनी रणनीति ही बदल ली है।
अब वे नए ग्राहक जोड़ने के बजाय बकाया उगाहने पर जोर दे रहे हैं। इसलिए चार बड़े बैंकों ने अपने क्रेडिट कार्ड विभाग में अफसर भी ऐसे तैनात कर दिए हैं, जो बकाया निकालने के लिहाज से मुफीद हैं।
दरअसल जानकारों के मुताबिक फरवरी में क्रेडिट कार्ड के मामले में बैंकों की गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) का औसत 15 फीसदी के स्तर तक पहुंच गया था। इसके बाद बैंकों को खतरे की घंटी महसूस हुई। पिछला एक साल मंदी की वजह से वैसे ही इस कारोबार के लिए दुश्वारी भरा रहा है। इसलिए 4 प्रमुख बैंकों ने क्रेडिट कार्ड के अपने प्रमुखों को पद से उतार दिया।
पिछले मार्च में सिटीबैंक ने टी आर रामचंद्रन को बिजनेस मैनेजर (काड्र्स) के पद से उतारकर रिटेल बैंकिंग का प्रमुख बना दिया गया। अमेरिका में काड्र्स के कारोबार का अनुभव रखने वाले संदीप भल्ला को बाद में यह जिम्मेदारी दी गई।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने भी दिवाकर गुप्ता को कार्ड बिजनेस का सीईओ बनाया। उन्होंने जीई मनी से एसबीआई में आए रुपम अस्थाना की जगह ली। दरसअल बैंक ने वित्त वर्ष 2007-08 में कार्ड कारोबार में 152 करोड़ रुपये का घाटा उठाया और यही अस्थाना की विदाई का सबब बना।
आईसीआईसीआई बैंक के के्रडिट कार्ड प्रमुख सचिन खंडेलवाल और एचएसबीसी के धीरज दीक्षित को भी हाल ही में अपने पदों से हाथ धोना पड़ा है। मार्च में एचएसबीसी में रवि सुब्रमण्यन ने दीक्षित की जगह ली, जबकि वहीं इस महीने आईसीआईसीआई में विनायक प्रसाद ने खंडेलवाल की जगह ली है। खंडेलवाल को रिमिटेन्सेज का प्रभारी बनाया गया है।
इस ट्रेंड पर एक बहुराष्ट्रीय बैंक में कार्ड कारोबार के प्रमुख कहते हैं, ‘यह महज संयोग ही नहीं है कि 10 महीने के अंतराल में चार बैंकों ने अपने कार्ड कारोबार के प्रमुखों को बदला है।’ बैंकों के लिए घाटे का कारोबार बनते जा रहे क्रेडिट कार्ड से पार पाने के लिए बैंक नये ग्राहक बनाने के बजाय मौजूदा ग्राहकों से ही रिकवरी करके मुनाफा बनाने की जुगत भिड़ा रहे हैं।
कुछ वक्त पहले तक बैंक आउटसोर्सिंग के जरिये ही रिकवरी कराते थे लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक की सख्त हिदायत के बाद बैंकों को अपनी खुद की रिकवरी टीमें बनानी पड़ी हैं। एचएसबीसी में सुब्रमण्यन को तो पहले रिकवरी टीम बनाने के लिए ही कहा गया। रिकवर टीम के संतोषजनक प्रदर्शन के बाद ही उन्हें आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी मिली।
एक बैंकर का कहना है, ‘क्रेडिट कार्ड कारोबार बैंकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। नये मैनेजरों को इस कारोबार को पटरी पर लाने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।’ उनका कहना है कि इनको पहले तो अपने पोर्टफोलियो को दुरुस्त करना होगा और प्रीमियम ग्राहकों का ख्याल रखना होगा।
बदल गई हवा
साल भर में चार बैंकों के कार्ड कारोबार के प्रमुखों को कुर्सी से धोना पड़ा हाथ
जोखिम बढ़ने से बदली बैकों ने अपनी रणनीति
ग्राहक बढ़ाने की बजाय बैंक दे रहे हैं बकाया वसूली पर ज्यादा ध्यान
ठेके पर उगाही कराने के बजाय बैंक खुद जुट गए इस काम में
