देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक ने चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 22) में पूंजी पर्याप्ततता प्रोफाइल बढ़ाने के लिए एडीशनल टियर-1 (एटी-1) बॉन्डों के माध्यम से 14,000 करोड़ रुपये तक जुटाने की योजना बनाई है।
बीएसई को दी गई जानकारी में बैंक ने कहा है कि इसके लिए केंद्रीय बैंक ने मंजूरी दे दी है। केंद्रीय बैंक ने बेसल-3 के अनुपालन के मुताबिक रुपये या/और डॉलर में वित्त वर्ष 22 में पूंजी जुटाने की मंजूरी दी है। स्टेट बैंक के शेयर बीएसई में 1.64 प्रतिशत चढ़कर 419.55 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुए।
एसबीआई के अधिकारी ने कहा कि यह सक्षम बनाने का प्रावधान है और वास्तविक रूप से इसे जारी किया जाना बाजार की स्थितियों और व्यवस्था में कर्ज की वृद्धि पर निर्भर होगा।
धन जुटाना भारत सरकार की सहमति से जुड़ा मसला है, जो इसकी प्रवर्तक है और 31 मार्च, 2021 को उसकी हिस्सेदारी 57.63 प्रतिशत थी। बैंक का पूंजी पर्याप्ततता अनुपात (सीएआर) मार्च, 2021 के अंत तक 13.74 प्रतिशत था, जो मार्च, 2020 के 13.06 प्रतिशत से ज्यादा है। इसका कॉमन इक्विटी टियर-1(सीईटीआई-1)मार्च, 2020 में 10.02 प्रतिशत था, जो 7.07 प्रतिशत नियामकीय जरूरतों से ज्यादा है। इसका एटी-1 स्तर मार्च, 2021 में 1.42 प्रतिशत था, जो मार्च, 2020 के 1.23 प्रतिशत से ज्यादा है।
व्यवस्था के हिसाब से महत्त्वपूर्ण वित्तीय संस्थान होने के कारण बैंक को अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में सीएआर का ज्यादा स्तर बरकरार रखना होता है।
सीईटीआई का स्तर नियामकीय जरूरतों से ज्यादा है, ऐसे में स्टेट बैंक अभी इक्विटी पूंजी जुटाने पर विचार नहीं कर रहा है। इसकी जगह कमाई बरकरार रखने के लिए बैंक के पास सहायक इकाइयों जैसे जनरल इंश्योरेंस और संपत्ति प्रबंधन इकाई में हिस्सेदारी के मुद्रीकरण का विकल्प है। जब भी जितनी बाहरी पूंजी की जरूरत होगी, बैंक अपने शेयरधारकों व बोर्ड से संपर्क कर सकता है और बाजार से संसाधन जुटाने के लिए आवश्यक मंजूरियां ले सकता है।