कम समय में सफल होने की चाहत में कुछ बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) अनैतिक तरीके अपना रहे हैं, जिसमें हस्तक्षेप की जरूरत पड़ सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जानकीरमण ने यह कहते हुए चेताया कि भले ही ऐसे उदाहरण बेशक कम है, लेकिन इससे बैंकिंग प्रणाली में जनता का भरोसा कम होने का खतरा है।
स्वामीनाथन ने कहा, ‘तेज प्रतिस्पर्धा का दबाव और कम समय में ही सफल होने की चाहत के कारण कुछ बैंकों और एनबीएफसी के प्रबंधन को लगता है कि लक्ष्य हासिल करने के लिए कोई भी तरीका ठीक है। रचनात्मक लेखांकन और नियमों की उदार व्याख्या जैसी प्रथाओं का सहारा ले रहे हैं और कुछ बोर्डरूम में अपर्याप्त आंतरिक नियंत्रणों को सामान्य बनाया जा रहा है, जिससे हस्तक्षेप जरूरी हो जाता है।’
इस हफ्ते की शुरुआत में निजी क्षेत्र के ऋणदाता करुर वैश्य बैंक के 109वें स्थापना दिवस समारोह में स्वामीनाथन ने कहा, ‘भले ही ऐसे उदाहण कम हैं मगर इस तरह की प्रथाओं से बैंकिंग प्रणाली की अखंडता में जनता का भरोसा कम होने का खतरा है।’ डिप्टी गवर्नर ने चिंता जाहिर करते हुए कहा, ‘बोर्डरूम से लेकर शाखा तक नैतिक प्रथाओं से जुड़ी और उनमें निहित प्रणालियों, लोगों और प्रक्रियाओं के साथ वृद्धि महत्त्वपूर्ण है।’