आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में आज की गई वृद्धि से रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल कंपनियों की चिंता बढ़ गई है। महामारी के उबरने के प्रयास में जुटी इन कंपनियों पर ब्याज दर वृद्धि से फिर दबाव पड़ेगा और बिक्री में कमी आएगी, क्योंकि आवास एवं वाहन ऋण महंगे हो जाएंगे।
रियल एस्टेट परामर्श फर्म एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि इस दर वृद्धि की उम्मीद पहले से ही की जा रही थी, क्योंकि मुद्रास्फीति रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद काफी बढ़ गई थी और तेल कीमतों में तेजी आ गई। उन्होंने कहा, ‘इस वृद्धि को टाला नहीं जा सकता था, लेकिन अब हम ‘रेड जोन’ में प्रवेश कर रहे हैं। भविष्य में होने वाली किसी भी वृद्धि का आवासीय बिक्री पर प्रभाव दिखेगा।’
दर वृद्धि से उपभोक्ताओं से मांग प्रभावित होगी। आरबीआई को देश में उतार-चढ़ाव वाली मुद्रास्फीति नियंत्रण की चुनौती से जूझना पड़ रहा है, लेकिन साथ ही मांग में सुधार की रफ्तार को नुकसान से बचाए रखना होगा। कुल मिलाकर, कम जीडीपी के साथ ऊंची मुद्रास्फीति से चिंता पैदा हो सकती है, लेकिन अब भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।
उन्होंने कहा, ‘दर वृद्धि से आवास ऋण की ब्याज दरें बढ़ेंगी, जिनमें पिछले महीने अचानक मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद तेजी की आहट शुरू हो गई थी। ब्याज दरें 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान के मुकाबले कम बनी रहेंगी। 2008 के समय ये दरें 12 प्रतिशत और इससे भी ऊपर थीं। फिर भी, मौजूदा वृद्धि का प्रभाव आने वाले महीनों में आवासीय बिक्री पर दिखेगा।’
एक अन्य रियल एस्टेट डेवलपर ने कहा कि ब्याज दर में तेजी से व्यवसाय करने की लागत प्रभावित होगी और इसलिए इस कदम से व्यावसायिक धारणा पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा, क्योंकि अर्थव्यवस्था अभी भी महामारी से उबरने में लगी हुई है। स्टर्लिंग डेवलपर्स के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक रमन शास्त्री ने कहा, ‘हालांकि खरीदारों की उम्मीदों और घर स्वामित्व को लेकर बुनियादी बदलाव आया है और इसका उधारी दरों में उतार-चढ़ाव के तौर पर असर दिखेगा।’
विश्लेषकों का कहना है कि बैंक मई में आरबीआई द्वारा पिछली रीपो दर वृद्धि के बाद से ही आवास ऋण पर 30-40 आधार अंक तक की ब्याज दर वृद्धि पहले ही कर चुके हैं और अब रीपो दर फिर से बढ़ने से घर खरीदारों के लिए ब्याज दरों में और इजाफा हो जाएगा। नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, ‘बढ़ती ब्याज दर के साथ साथ ऊंची संपत्ति निर्माण लागत और उत्पाद कीमतों से रियल एस्टेट खरीदार की धारणा पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।’
समान नजरिया व्यक्त करते हुए वाहन उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि बढ़ती दरों से मांग घटेगी। सीआईआई के अध्यक्ष संजीव बजाज ने कहा कि आरबीआई ने पूर्वी यूरोप में मौजूदा युद्ध को ध्यान में रखते हुए मौजूदा वृद्धि-मुद्रास्फीति समीकरण की तलाश में मुद्रास्फीतिकारी उम्मीदों को नरम बनाया है।
उन्होंने कहा, ‘मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई का प्रयास सराहनीय है, क्योंकि महंगाई से व्यवसाय का मार्जिन और उपभोक्ता मांग पर भी प्रभाव पड़ रहा है। भविष्य में, सरकार के हस्तक्षेप और अनुकूल मॉनसून की वजह से मुद्रास्फीति में नरमी आने का अनुमान है।’
पूंजीगत वस्तु उद्योग भी बढ़ती दरों को लेकर चिंतित था। केईसी इंटरनैशनल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी विमल केजरीवाल ने कहा कि रीपो दर वृद्धि नकारात्मक है, क्योंकि इससे ब्याज खर्च बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा, ‘इसका पूंजीगत खर्च योजनाओं पर भी प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि परियोजनाओं की लागत बढ़ जाएगी, जिससे प्रतिफल की आंतरिक दर (आईआरआर) प्रभावित होगी। हालांकि मेरा मानना है कि इससे जिंस कीमतों में नरमी आएगी, जो मार्जिन के नजरिये से अच्छा है।’
