भारतीय रिजर्व बैंक ने आज 33,000 करोड़ रुपये की बोली स्वीकार की, जो चार तरह के सरकारी बॉन्डों के लिए है। यह नीलामी में कीमत के स्तर को लेकर सहजता को प्रतिबिंबित करता है। 8 जून को मौद्रिक नीति की समीक्षा को बाद यह सरकारी बॉऩ् की पहली नीलामी है। 10 वर्षीय (6.54 फीसदी 2032) भी इस नीलामी का हिस्सा है।
आरबीआई के बयान के मुताबिक, उसने 7.51 फीसदी के कटऑफ स्तर पर 10 वर्षीय बॉन्ड के लिए 13,000 करोड़ रुपये की बोली स्वीकार की। 2023 में परिपक्व होने वाले बॉन्ड के लिए कटऑफ स्तर 4.56 फीसदी है और इसके लिए 4,000 करोड़ रुपये की बोली स्वीकार हुई। इसमें 7.10 फीसदी 2029 के लिए 7,000 करोड़ रुपये और 7.40 फीसदी व 6.95 फीसदी 2061 के लिए 9,000 करोड़ रुपये की बोली स्वीकार की गई। बॉन्ड डीलरों ने कहा कि बॉन्ड नीलामी में आरबीआई का कटऑफ बाजार के रुख के मुताबिक है।
क्लियरिंग कॉरपोरेशन के आंकड़ों के मुताबिक, शुरुआती कारोबार में 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 7.50 फीसदी था। कारोबार के दौरान यह 7.49 फीसदी और 7.52 फीसदी के बीच चढ़ता उतरता रहा। अंत में बेंचमार्क प्रतिभूति का प्रतिफल 7.51 फीसदी पर बंद हुआ।
डीलरों ने कहा, 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल अल्पावधि में सीमित दायरे में बना रहेगा। बाद में प्रतिफल 7.75 से 8 फीसदी तक जा सकता है क्योंकि आरबीआई नकदी की निकासी की ओर बढ़ेगा।
बॉन्ड बाजार को लेकर आरबीआई की मदद पर गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि केंद्रीय बैंक सरकार के रिकॉर्ड उधारी कार्यक्रम को मदद देगा और वह प्रतिफल की निगरानी कर रहा है।
विश्लेषकों ने कहा कि आरबीआई बिना कोलेटरल वाली स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी शुरू करने के बाद से गंभीरतापूर्वक ऑपरेशन ट्विस्ट पर विचार कर रहा है। हालांकि अल्पावधि में हमें नहीं लगता कि आरबीआई इस कदम का ऐलान करेगा क्योंकि 10 वर्षीय प्रतिफल सही दिशा में है। आने वाल समय में इसे और सहारा दिया जा सकता है क्योंकि बेंचमार्क बॉन्ड प्रतिफल 7.75 से 8 फीसदी की ओर जाएगा।