भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से सरकारी प्रतिभूतियों के अधिग्रहण कार्यक्रम (जीसैप) के दूसरे चरण में खासा उत्साह देखने को मिला क्योंंकि केंद्रीय बैंंक ने बाजार पर दबाव घटाने के लिए 35,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। केंद्रीय बैंक प्रत्यक्ष और गुमनाम तरीके से बाजार से बॉन्ड की खरीद कर रहा है ताकि बॉन्ड प्रतिफल निचले स्तर पर रहे।
जीसैप और खरीद के अन्य जरिये केबीच अंतर (उदाहरण के लिए ओपन मार्केट ऑपरेशंस-ओएमओ) के तहत केंद्रीय बैंक किसी बॉन्ड की खरीद से इनकार नहीं करता। हालांकि वलह पहले ही अधिसूचित कर देता है कि कोई खास बॉन्ड वह जीसैप के तहत खरीदेगा।
पहले चरण में आरबीआई ने 15 अप्रैल को 25,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे और दूसरे चरण में गुरुवार को 35,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड की खरीदारी हुई। केंद्रीय बैंक जून में समाप्त पहली तिमाही में एक लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदने को प्रतिबद्ध है और आगामी तिमाहियों में सैप के और संस्करण पेश करेगा।
गुरुवार की नीलामी में आरबीआई ने 2024 से 2035 के बीच परिपक्व होने वाले बॉन्ड खरीदे। बैंंक ने बेंचमार्क 10 साल वालों के 8,345 करोड़ रुपये के बॉन्ड और 8 साल वाले 6,697 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे।
हालांकि 10 साल के बॉन्ड का प्रतिफल पिछले बंद स्तर से महज 2 आधार अंक फिसला, लेकिन 6 फीसदी से नीचे बना रहा, जो केंद्रीय बैंक का लक्ष्य है। 10 साल के बॉन्ड का प्रतिफल 5.968 फीसदी पर बंद हुआ।