पिछले कुछ महीनों से डॉलर की बिकवाली करने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) रुपये में गिरावट थामने की मुहिम पर फिलहाल विराम लगा सकता है। भू-राजनीतिक हालात स्थिर होने के संकेत मिलने और कच्चे तेल के दामों में नरमी को ध्यान में रखते हुए आरबीआई मुद्रा बाजार में सीधे हस्तक्षेप से दूर रह सकता है। कच्चा तेल 140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने के बाद अब लगातार निचले स्तर पर आ रहा है।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से सितंबर के बीच आरबीआई ने डॉलर की शुद्ध खरीद की थी मगर उसके बाद अमेरिकी मुद्रा की बिकवाली शुरू कर दी। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जनवरी के दौरान केंद्रीय बैंक ने 36.6 अरब डॉलर की शुद्ध खरीद की है। वर्ष 2020-21 में आरबीआई ने 68 अरब डॉलर की शुद्ध खरीद की थी।
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से आरबीआई मुद्रा बाजार में लगातार हस्तक्षेप कर रहा है। यूक्रेन संकट के बाद वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल का भाव काफी ऊपर चढ़ गया था। भारत तेल की कुल खपत के 80 प्रतिशत हिस्से का आयात करता है। अगर आरबीआई रुपये का अवमूल्यन रोकने के लिए कदम नहीं उठाता तो कच्चे तेल के भारी आयात की वजह से देश को काफी नुकसान होता। 7 मार्च को अमेरिकी मुद्रा डॉलर की तुलना में रुपया 76.97 डॉलर प्रति बैरल के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया। हालांकि डॉलर खरीदने के आरबीआई की मुहिम से रुपयाकरीब 1.5 प्रतिशत संभल चुका है। मुद्रा बाजार में रुपया संभालने के लिए आरबीआई के हस्तक्षेप और 8 मार्च को 5 अरब डॉलर के स्वैप ऑक्शन (डॉलर की बिक्री और कुछ समय बाद वापस इसकी खरीद) से देश का विदेशी मुद्रा भंडार 9.6 अरब डॉलर कम हो गया। 11 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में 11 अरब डॉलर की कमी इसकी मुख्य वजह रही।
सी आर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक अमित भंडारी कहते हैं, ‘विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में करीब 11 अरब डॉलर की कमी आई जिनमें 5 अरब डॉलर स्वैप ऑक्शन की वजह से हुआ। कुछ मिलाकर इस सप्ताह के दौरान आरबीआई ने 6 अरब डॉलर की बिकवाली की होगी। मगर इसी अवधि के दौरान डॉलर में आई तेजी पर विचार नहीं करें तो आरबीआई ने 4.0 से 4.5 अरब डॉलर से कम की बिकवाली नहीं की होगी।’ विश्लेषकों के अनुसार आने वाले समय में केंद्रीय बैंक डॉलर की बिकवाली या लिवाली दोनों से दूर रह सकता है। कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड में डीवीपी (करेंसी डेरिवेटिव्स ऐंड इंटरेस्ट डेरिवेटिव्स) अनिंद्य बनर्जी ने कहा, ‘आरबीआई तत्काल डॉलर की खरीद नहीं करेगा। मगर यह भी तय है यह इसकी बिकवाली से भी दूर रहेगा। मुझे लगता है कि आरबीआई अब दोबारा तभी डॉलर बेचेगा जब रुपया फिर तेजी से फिसलने लगेगा।’ महंगाई के मोर्चे पर आरबीआई के लिए एक अच्छी बात यह है कि कच्चे तेल के दाम बढऩे के बावजूद आरबीआई ने पेट्रोल या डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाई हैं। बनर्जी ने कहा, ‘कच्चा तेल 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुचने के बाद सभी जिंसों की कीमतों में इजाफा हो रहा है। इससे भी महंगाई का जोखिम भी बढ़ता जा रहा है। उस स्थिति में आरबीआई महंगाई का असर कम करने के लिए रुपये में मजबूती करने के उपाय कर सकता है।’
