भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा क्रेडिट लाइनों से प्रीपेड पेंमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) को लोड करने की अनुमति नहीं देने के कदम से 80 लाख से 1 करोड़ ग्राहक प्रभावित हो सकते हैं, जो ‘अभी खरीदें बाद में भुगतान करें’ (बीएनपीएल) की व्यवस्था हिस्सा हैं। नियामकीय निर्देशों से प्रभावित होने वाले कारोबारियों ने यह आशंका जताई है। उनका कहना है कि इस कदम से उधारी के मामले में व्यवस्था संबंधी समस्या भी पैदा हो सकती है क्योंकि अगर इसे अचानक बंद कर दिया गया तो ग्राहक कर्ज का पुनर्भुगतान कर पाने में सक्षम नहीं होंगे।
इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन आफ इंडिया (आईएएमएआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस कदम से 80 लाख से 1 करोड़ ग्राहक प्रभावित होंगे। अगर ऐसे ग्राहकों के खाते बंद कर दिए गए तो इससे व्यवस्था संबधी जोखिम भी पैदा होगा क्योंकि ये लोग संभवतः पुनर्भुगतान नहीं कर पाएंगे।’
मंगलवार को इस सिलसिले में पेमेंट सिस्टम से जुड़े उद्योग संगठनों के कई अधिकारियों ने नियामक से मुलाकात की है और उन्हें अपनी चिंता से अवगत कराया।
इस सप्ताह की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने अधिकृत गैर बैंक पीपीआई जारीकर्तों को पत्र लिखकर कहा था कि क्रेडिट लाइन से इस तरह के इंस्ट्रूमेंट की लोडिंग का निर्देश नहीं है। इस तरह की गतिविधि अगर की जा रही है, तो इसे तत्काल रोका जाना चाहिए। और अगर इसका अनुपालन नहीं किया जाता है तो भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
रिजर्व बैंक के कम्युनिकेशन से भ्रम और आशंका पैदा हो गया और उसके बाद से इस क्षेत्र के कारोबारियों के बीच चर्चा है कि उनके कारोबारी मॉडल पर इसका क्या असर पड़ने जा रहा है।
तमाम उद्योग संगठनों ने इस क्षेत्र के कारोबारियों से बात की, जबकि कुछ ने इस मामले में नियामक से स्पस्टीकरण जारी करने की मांग की। उद्योग संगठन प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के गवर्नर से इस मसले पर मिलने की योजना बना रहे हैं।
एक सूत्र ने कहा, ‘बीएनपीएल उद्योग भ्रमित है। ग्राहकों को जोड़ने की तमाम कवायदें की गईं, जो कर्ज के क्षेत्र में नए हैं। इससे उनकी उधारी सस्ती हुई है। अचानक नियामक ने दो पैराग्राफ का पत्र लिख दिया, जिससे चल रहे काम को जोखिम है, जो पिछले कुछ साल से किया जा रहा है।’
सूत्र ने कहा, ‘रिजर्व बैंक के गवर्नर, पीएमओ और वित्त मंत्रालय को उद्योग की ओर से आने वाले दिनों में पत्र भेजे जाएंगे। इसके असर को लेकर आंकड़े एकत्र किया जा रहा है कि इससे उद्योग पर कितना असर पड़ा है।’
भुगतान उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि उद्योग जगत इस कदम के पीछे की वजह समझने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि तभी इस क्षेत्र के कारोबारी अपने कारोबार पर पड़ने वाले असर का अनुमान लगा सकेंगे। उद्योग जगत क्रेडिट कार्ड लाइसेंसिंग पर बैंको व गैर बैंक कारोबारियो के मामले में समान कारोबार का मौका दिए जाने की मांग कर रहा है।
