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PM Vishwakarma Scheme: 12 लाख में सिर्फ 27% को मिला ऋण, क्या कारीगरों तक पहुंच रही है मदद?

17 सितंबर 2025 तक इस पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत 2.71 करोड़ आवेदन जमा किए गए जिनमें से तीन-चरण की प्रक्रिया पूरी करके केवल 30 लाख आवेदन ही सफलतापूर्वक पंजीकृत हुए हैं।

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हर्ष कुमार   
Last Updated- September 18, 2025 | 8:50 AM IST

पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मिले आवेदनों में से एक-चौथाई से थोड़ा ज्यादा आवेदकों को ही ऋण मिल पाया है। सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
यह योजना वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर भारत के असंगठित क्षेत्र के कारीगरों को आर्थिक मदद देने और उनके कौशल विकास के मकसद से शुरू की गई थी। अगस्त 2025 तक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को इस योजना के तहत 12 लाख आवेदन मिले। इनमें से बैंकों ने 11.9 लाख आवेदनों पर कार्रवाई की और 3,97,852 आवेदकों के लिए ऋण मंजूर किए गए। हालांकि, सिर्फ 3,33,632 लोगों को ही ऋण मिल पाया, जो कुल आवेदनों का 27.2 फीसदी है।

भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को 5,21,618 से ज्यादा आवेदन मिले। बैंक ने लगभग सभी आवेदनों को देखा लेकिन महज 1,43,567 आवेदनों को ही मंजूरी दी। आखिर में, सिर्फ 1,22,659 लोगों को ही ऋण मिल पाया, जो कुल आवेदनों का 23.4 फीसदी है।

अन्य बड़े सरकारी बैंकों जैसे पंजाब नैशनल बैंक (38.3 फीसदी), बैंक ऑफ बड़ौदा (28.7 फीसदी) और केनरा बैंक (38.2 फीसदी) में कुल आवेदनों की तुलना में ऋण वितरण करने की दर एसबीआई से बेहतर है। वित्त मंत्रालय को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिला।

एक सरकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी बताया, ‘ज्यादातर आवेदन इसलिए खारिज होते हैं क्योंकि आवेदकों ने पहले से ही कर्ज लिया होता है या उनका पुराना कर्ज चुकाने का रिकॉर्ड अच्छा नहीं होता। इसके अलावा पहले से लिए गए ऋण में चूक, अधूरे दस्तावेज, या जरूरी शर्तों को पूरा न कर पाना जैसे कारणों से भी आवेदन रद्द होते हैं। यह योजना उन लोगों के लिए है जिनका वित्तीय रिकॉर्ड ठीक-ठाक है। जिनका ऋण का रिकॉर्ड खराब है, उन्हें बैंक ज्यादा जोखिम वाला मानते हैं, जिसके कारण उनके आवेदन को मंजूरी मिलने की संभावना कम हो जाती है।’

बैंक अधिकारी ने यह भी बताया कि पहले उन्हें पंजीकरण के स्तर पर भी कुछ दिक्कतें आ रही थीं, लेकिन अब वे इस योजना में तेजी की उम्मीद कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘वित्तीय समावेशन योजनाओं की पिछली समीक्षा बैठक में हमें सरकार से साफ निर्देश मिले हैं कि किसी भी आवेदन को सीधे तौर पर शाखा के स्तर पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए। किसी भी आवेदन को खारिज करने से पहले समीक्षा के लिए आगे भेजा जाना चाहिए और कुछ मामलों को दोबारा जांच के लिए वापस भेजा जाता है। शाखा प्रबंधकों से उम्मीद की जाती है कि वे अंतिम फैसला लेने से पहले आवेदकों से दोबारा संपर्क करें और सभी संभावित विकल्पों पर विचार करें।’

यह योजना सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, और वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय सेवा विभाग मिलकर चला रहे हैं। यह योजना पांच साल की अवधि (2028 तक) के लिए 13,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ शुरू की गई थी।

पीएम विश्वकर्मा की वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार, 17 सितंबर 2025 तक इस योजना के तहत 2.71 करोड़ आवेदन जमा किए गए जिनमें से तीन-चरण की प्रक्रिया पूरी करके केवल 30 लाख आवेदन ही सफलतापूर्वक पंजीकृत हुए हैं।

बुधवार को, धार, मध्य प्रदेश में एक रैली को संबोधित करते हुए, मोदी ने विश्वकर्मा पूजा के देशव्यापी उत्सव की बात की और इसे पीएम विश्वकर्मा योजना की सफलता का जश्न मनाने का एक क्षण भी बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर संतोष जताया किया कि पीएम विश्वकर्मा योजना ने थोड़े ही समय में 30 लाख से अधिक कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान की है। उन्होंने आगे बताया कि इस योजना के माध्यम से लाभार्थियों को कौशल प्रशिक्षण, डिजिटल मार्केटिंग तक पहुंच बनाने का मौका दिए जाने के साथ ही आधुनिक उपकरण भी दिए गए हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि 600,000 से अधिक विश्वकर्मा साझेदारों को नए उपकरण दिए गए हैं और उनके काम का समर्थन करने के लिए 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण भी दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘पीएम विश्वकर्मा योजना ने समाज के उन वर्गों को सबसे अधिक लाभ पहुंचाया है जिनकी दशकों तक उपेक्षा की गई थी।’

First Published : September 18, 2025 | 8:50 AM IST