facebookmetapixel
Q2 Results: Tata Motors, LG, Voltas से लेकर Elkem Labs तक; Q2 में किसका क्या रहा हाल?पानी की भारी खपत वाले डाटा सेंटर तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर डाल सकते हैं दबावबैंकों के लिए नई चुनौती: म्युचुअल फंड्स और डिजिटल पेमेंट्स से घटती जमा, कासा पर बढ़ता दबावEditorial: निर्यातकों को राहत, निर्यात संवर्धन मिशन से मिलेगा सहारासरकार ने 14 वस्तुओं पर गुणवत्ता नियंत्रण आदेश वापस लिए, उद्योग को मिलेगा सस्ता कच्चा माल!DHL भारत में करेगी 1 अरब यूरो का निवेश, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग में होगा बड़ा विस्तारमोंडलीज इंडिया ने उतारा लोटस बिस्कॉफ, 10 रुपये में प्रीमियम कुकी अब भारत मेंसुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश: राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के 1 किलोमीटर के दायरे में खनन पर रोकदिल्ली और बेंगलूरु के बाद अब मुंबई में ड्रोन से होगी पैकेज डिलिवरी, स्काई एयर ने किया बड़ा करारदम घोंटती हवा में सांस लेती दिल्ली, प्रदूषण के आंकड़े WHO सीमा से 30 गुना ज्यादा; लोगों ने उठाए सवाल

धोखाधड़ी के वर्गीकरण पर रिजर्व बैंक को नोटिस

Last Updated- December 12, 2022 | 5:35 AM IST

उच्चतम न्यायालय ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के खंडपीठ के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक के धोखाधड़ी के वर्गीकरण की अधिसूचना को मनमाना और अवैध बताया गया है। उच्च न्यायालय ने कहा है कि यह अन्य कॉर्पोरेट खातों को भी प्रभावित करेगा, जिसे देखते हुए एसबीआई और आरबीआई शीर्ष न्यायालय पहुंचे हैं।
उच्चतम न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि फरवरी 2019 में हुई बैंकों की संयुक्त बैठक के ब्योरे/आदेश को इस खास खाते के मामले में अगले आदेश तक लागू नहीं किया जाए। कानून से जुड़े सूत्रों ने कहा कि इस आदेश से अन्य पक्षों को भी बड़ी राहत मिलेगी, जो धोखाधड़ी वर्गीकरण से इसी तरह से प्रभावित हैं, जिसमें प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को लागू नहीं किया गया है।
धोखाधड़ी वर्गीकरण पर रिजर्व बैंक के सर्कुलर के मुताबिक कर्जदाताओं को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पास एक नियत समय में शिकायत दाखिल करनी है। लेकिन अब उन्हें शीर्ष न्यायालय के अंतिम फैसले तक इंतजार करना होगा।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने कहा था कि रिजर्व बैंक की अधिसूचना में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया है और इसमें दूसरे पक्ष की व्यक्तिगत सुनवाई का मौका नहीं दिया गया है।
अपने पहले के आदेश में शीर्ष न्यायालय ने बैंकों से किसी खाते को ‘जानबूझ कर चूक करने वाला’ घोषित करने के पहले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना होगा।
कर्जदाता सामान्यतया बैंकों द्वारा नियुक्त फोरेंसिक ऑडिटरों की रिपोर्ट के आधार पर जानबूझकर चूक करने वाला खाता घोषित करते हैं।
बहरहाल कोई पहले से तय फोरेंसिक मानक नहीं है, जिसमें यह अनिवार्य हो या कोई दिशानिर्देश दिया गया हो जिसका पालनऑडिटर करें। डीएचएफएल के मामले में एक ऑडिटिंग फर्म ने कंपनी को क्लीन चिट दे दी थी, जबकि बाद में ग्रांट थॉर्नटन ने खातों में 15,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की पहचान की थी।
इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड अकाउंटेंट आफ इंडिया (आईसीएआई) फोरेंसिंक अकाउंटिंग स्टैंडर्ड बनाए जाने की मांग कर रहा है, जिसका इस्तेमाल फोरेंसिक ऑडिट की जांच व मूल्यांकन के दौरान किया जा सके। उच्चतम न्यायालय उन खातों की भी किस्मत तय करेगा, जिन्हें पहले बी बैंकों ने फ्रॉड घोषित कर दिया है।

First Published - April 22, 2021 | 11:51 PM IST

संबंधित पोस्ट