नुकसान हुआ है तो आपके लिए टैक्स से संबंधित उन नियमों को जानना आवश्यक है जिनके तहत नुकसान (लॉस) को किसी अन्य इनकम से एडजस्ट/सेट ऑफ करने के प्रावधान हैं।
आज बात करते हैं उन्हीं नियमों की।
क्या हैं नियम?
अगर किसी वित्त वर्ष के दौरान आपको इक्विटी या म्यूचुअल फंड में निवेश से नुकसान होता है तो आप उस वित्त वर्ष के दौरान अन्य कैपिटल एसेट (बॉन्ड, गोल्ड, प्रॉपर्टी वगैरह) से होने वाले इनकम (जो कैपिटल गेन्स के अंतर्गत आते हैं) से उसको सेट ऑफ कर सकते हैं।
लेकिन शॉर्ट-टर्म कैपिटल लॉस और लौंग-टर्म कैपिटल लॉस के लिए नियम अलग -अलग हैं।
सीनियर टैक्स कंसलटेंट अजय अग्रवाल के अनुसार, यदि इक्विटी या म्यूचुअल फंड में निवेश पर आपको शॉर्ट-टर्म कैपिटल लॉस हुआ है तो आप उसका एडजस्टमेंट किसी अन्य लौंग या शॉर्ट दोनों तरह के कैपिटल गेन से कर सकते हैं। लेकिन अगर लौंग टर्म कैपिटल लॉस है तो उसका एडजस्टमेंट सिर्फ किसी अन्य लौंग-टर्म कैपिटल गेन से ही हो सकता है।
शॉर्ट-टर्म और लौंग-टर्म कैपिटल गेन/लॉस की गणना
इक्विटी/इक्विटी फंड: अजय अग्रवाल के मुताबिक, एक वर्ष से कम अवधि में अगर आप लिस्टेड इक्विटी शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड बेचते या रिडीम करते हैं तो कैपिटल गेन/लॉस शॉर्ट-टर्म मानी जाएगी। शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन/इनकम पर आपको 15 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 15.6 फीसदी) शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।
चार्टर्ड अकाउंटेंट गोपाल केडिया बताते हैं कि लिस्टेड इक्विटी पर गेन/लॉस की गणना तभी शार्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स के तहत होगी जब आपने इक्विटी के ट्रांसफर पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (सीटीटी) चुकाया हो। स्टॉक एक्सचेंज में बेचे और खरीदे जाने वाले इक्विटी शेयर/स्टॉक पर सिक्योरिटीज़ ट्रांजैक्शन टैक्स लगता है।
लेकिन अगर आप एक वर्ष के बाद बेचते हैं तो पॉजिटिव/निगेटिव रिटर्न लौंग-टर्म कैपिटल गेन/लॉस मानी जाएगी। सालाना एक लाख रुपए से ज्यादा के लौंग-टर्म कैपिटल गेन पर आपको 10 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 10.4 फीसदी) लौंग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। ध्यान रहे कि सालाना एक लाख रुपए से कम के लौंग-टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स का प्रावधान नहीं है। ईएलएसएस और आर्बिट्राज फंड भी इक्विटी फंड की कैटेगरी में आते हैं। अगर कोई बैलेंस्ड/हाइब्रिड फंड भी कुल कॉर्पस का 65 फीसदी इक्विटी में निवेश करें तो टैक्स के हिसाब से इसे भी इक्विटी फंड ही माना जाता है।
डेट फंड: अजय अग्रवाल के मुताबिक अगर आप 36 महीने (3 साल) से पहले डेट फंड रिडीम करते हैं तो कैपिटल गेन/लॉस शॉर्ट-टर्म मानी जाएगी। शार्ट-टर्म कैपिटल गेन आपकी कुल आमदनी में जोड़ दिया जाएगा और उस पर इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर 3 साल या उसके बाद रिडीम करते हैं तो रिटर्न लौंग-टर्म कैपिटल गेन/लॉस मानी जाएगी।
लौंग-टर्म कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 20.8 फीसदी) लौंग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। इंडेक्सेशन के तहत महंगाई/कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स के हिसाब से पर्चेज प्राइस (कॉस्ट ऑफ ऐक्विज़िशन) को बढा दिया जाता है, जिससे कर योग्य आय कम हो जाती है और टैक्स में बचत होती है।
गोल्ड फंड, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, गोल्ड इटीएफ, इंटरनेशनल फंड और फंड ऑफ फंड्स भी टैक्सेशन के हिसाब से डेट फंड की कैटेगरी में आते हैं।
यदि एडजस्टमेंट के बाद भी नुकसान (लॉस) बच जाता है…
अजय अग्रवाल के मुताबिक, यदि किसी वित्त वर्ष में एडजस्टमेंट के बाद भी नुकसान यानी कैपिटल लॉस बच जाता है तो जिस वर्ष (असेसमेंट ईयर) नुकसान हुआ है उसके अगले 8 वर्ष तक उस नुकसान को सेट ऑफ कर सकते हैं।
एक बात और, नुकसान के एडजस्टमेंट के लिए जरूरी है कि आपको जिस वर्ष में नुकसान हुआ है उस वर्ष के लिए आप तय समय सीमा के अंदर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें और उसमें नुकसान का उल्लेख करें।
