मौद्रिक नीति बनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा अक्टूबर 2016 में लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्य ढांचा लागू किए जाने के बाद पहली बार वह अपने लक्ष्य को हासिल करने में संभवत: विफल रहेगा। आरबीआई ने लगातार तीन तिमाहियों के दौरान औसत मुद्रास्फीति को 2 से 6 फीसदी के दायरे में रखने की बात कही थी।
जनवरी से मार्च तिमाही के दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति औसतन 6 फीसदी से ऊपर रही। इसे आरबीआई की मौद्रिक नीति का एक प्रमुख पैमाना माना जाता है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के अपने अनुमान से पता चलता है कि अगली तीन तिमाहियों यानी चालू कैलेंडर वर्ष की पहली तिमाही से लेकर तीसरी तिमाही के दौरान औसत मुद्रास्फीति 6 फीसदी के पार पहुंच जाएगी। आरबीआई ने अप्रैल से जून के लिए 7.5 फीसदी, जुलाई से सितंबर के लिए 7.4 फीसदी और अक्टूबर से दिसंबर तिमाही के लिए 6.2 फीसदी मुद्रास्फीति का अनुमान जाहिर किया है।
आरबीआई ने आज मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए महंगाई दर से संबंधित अपने अनुमानों में संशोधन किया। आरबीआई के ताजा अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में मुद्रास्फीति 6.3 फीसदी रहेगी जबकि अप्रैल में इसे 5.7 फीसदी रहने का अनुमान है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 2022-23 के लिए 6.7 फीसदी की बुनियादी मुद्रास्फीति में बुधवार को की गई मौद्रिक नीति कार्रवाई के प्रभाव पर गौर नहीं किया गया है। इसके तहत आरबीआई ने नीतिगत रीपो दर में 50 आधार अंकों की वृद्धि की है।
महंगाई के अनुमान को लेकर एक
सवाल का जवाब देते हुए आरबीआई गवर्नर दास ने कहा, हम इस मामले में कयास नहीं लगाना चाहेंगे।
उन्होंने कहा, अभी चार महीने बचे हैं जब पता चलेगा कि हम लक्ष्य पूरा कर पाए या नहीं, लेकिन बाजार के भागीदार इसे उस रूप में देखते हैं, जो पहले घटित हो चुका है और उसे बदला नहीं जा सकता।
आईडीएफसी एएमसी के प्रमुख (फिक्स्ड इनकम) सुयश चौधरी ने कहा, मीडिया से बातचीत में गवर्नर हालांकि इस सवाल से सीधे तौर पर नहीं जुड़े लेकिन नीतिगत दस्तावेज पर नजर डालें तो इस संबंध में की गई भविष्यवाणी कुछ राहत देती है।
चौधरी ने कहा, यह भी तार्किक कदम है क्योंकि गवर्नर ने कहा है और जिसे सामान्य टिप्पणी में अक्सर भुला दिया जाता है कि नीतिगत सख्ती के कदम 6 से 8 महीने में कारगर होते हैं। इसलिए अभी उठाए गए कदम निकट भविष्य में लक्ष्य के नाकाम होने की संभावना पर शायद ही बहुत ज्यादा असर डालेंगे।
अगर आरबीआई वास्तव में नाकाम होता है तो उन्हें एक नोट में सरकार को इसकी नाकामी के कारणों को बताना होगा और लक्ष्य पर महंगाई को लाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी भी देनी होगी। कानूनी के मुताबिक, 4 फीसदी सीपीआई महंगाई आरबीआई का लक्ष्य है, जिसमें 2 फीसदी की घटबढ़ हो सकती है।
अगर आरबीआई लक्ष्य से चूकता है तो महंगाई अगले छह महीने में शायद ही 4 फीसदी के पास आ पाएगी। जनवरी-मार्च 2024 में आरबीआई महंगाई के 5.8 फीसदी पर रहने की संभावना जता रहा है।
अर्थशास्त्रियों को लग रहा है कि मौद्रिक नीति समिति महंगाई को थामने के लिए ब्याज दरों में तीव्र बढ़ोतरी करेगी और रीपो दर 6 फीसदी पर पहुंच सकता है। रीपो दर में आज की हुई 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी के साथ अभी यह 4.9 फीसदी है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने एक नोट में कहा, वित्त वर्ष 23 के आखिर में हम रीपो दर को 6 फीसदी पर जाने की भविष्यवाणी कर रहे हैं। अगली दो बैठक में रीपो दरों में 25 आधार अंकों से ज्यादा की बढ़ोतरी का अनुमान है क्योंकि अगस्त में महंगाई सर्वोच्च स्तर पर पहुंच सकता है।