इंडसइंड बैंक ने 10 मार्च को अपने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में नुकसान का खुलासा किया। (File Image)
बाजार नियामक सेबी (Sebi) ने बुधवार को इंडसइंड बैंक (IndusInd Bank) के पांच वरिष्ठ अधिकारियों, जिनमें पूर्व डिप्टी सीईओ अरुण खुराना और पूर्व सीईओ सुमंत कठपालिया शामिल हैं, को कथित इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए करीब 20 करोड़ रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया। खुराना को 14.4 करोड़ रुपये, कठपालिया को 5.21 करोड़ रुपये और अन्य को 4 लाख रुपये से 7 लाख रुपये तक की रकम का जुर्माना भरना होगा। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जुर्माने की यह रकम कैसे तय की, आइए जानते हैं :
इंडसइंड बैंक ने 10 मार्च को अपने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में नुकसान का खुलासा किया, जिससे लगभग 1,530 करोड़ रुपये (दिसंबर 2024 तक) की अपनी नेटवर्थ का 2.35 फीसदी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का अनुमान है। अगले दिन बैंक का शेयर 27.2 फीसदी गिर गया और यह 901 रुपये से घटकर 656 रुपये पर आ गया।
डिस्क्लोजर और शेयर में गिरावट के बाद, सेबी ने डेरिवेटिव लॉस से संबंधित अनपब्लिश्ड प्राइस सेंसेटिव जानकारी (UPSI) के साथ किए गए ट्रेडों की पहचान करने के लिए स्वयं एक जांच शुरू की। नियामक ने 12 सितंबर, 2023 से 10 मार्च, 2025 की अवधि पर फोकस करते हुए NSE, BSE, डिपॉजिटरी, KPMG और इंडसइंड बैंक के रिकॉर्ड की जांच की।
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सेबी की जांच से पता चला कि 12 सितंबर, 2023 को भारतीय रिजर्व बैंक के मास्टर डायरेक्शन (Classification, Valuation and Operation of Investment Portfolio of Commercial Banks) के बाद, इंडसइंड ने डेरिवेटिव अकाउंटिंग मुद्दों को संबोधित करने के लिए 26 सितंबर तक एक अंतर-विभागीय टीम का गठन किया। 26 सितंबर को टीम की पहली बैठक में, डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स की अकाउंटिंग में खामियों की पहचान की गई, जिससे बैंक को अनरिर्पोटेड लॉस की कैलकुलेट करने का फैसला किया गया।
सेबी ने उन व्यक्तियों की पहचान की जो डेरिवेटिव नुकसान की चर्चाओं से अवगत थे और UPSI अवधि के दौरान इंडसइंड शेयरों का ट्रेड किया। 4 दिसंबर, 2023 को खुराना ने 53 करोड़ रुपये में 348,500 शेयर बेचे। कठपालिया ने 125,000 शेयर बेचे, जिससे 19.2 करोड़ रुपये की कमाई हुई। तीन अन्य व्यक्तियों ने उसी समय के आसपास छोटी मात्रा में बिक्री की। सेबी ने कहा कि इनमें से किसी भी व्यक्ति ने वित्त वर्ष 24 या वित्त वर्ष 25 के लिए कोई ट्रेडिंग प्लान जमा नहीं किया था। यह प्रीप्लान्ड सेल्स का संकेत नहीं था, जोकि UPSI से जुड़ा हो।
सेबी ने 32 पन्नों के अंतरिम आदेश में निष्कर्ष निकाला कि इन व्यक्तियों ने UPSI के बारे में जानते हुए ट्रेड किया, जिससे बड़े नुकसान से बचा जा सका। आदेश में कहा गया है, “यह मानना होगा कि नोटिस हासिल करने वालों ने रेगुलर ट्रेड किया, जबकि एक बड़े वित्तीय प्रभाव वाली खामियों पर चर्चा चल रही थी।”
सेबी ने खुलासे के बाद 27.2 फीसदी स्टॉक मूल्य में गिरावट के कारण होने वाले नुकसान से बचने के आधार पर जुर्माने की कैलकुलेशन की। नियामक का मानना है कि अगर व्यक्तियों ने UPSI सार्वजनिक होने के बाद अपने शेयर बेचे होते, तो उनकी आय 27.165 फीसदी कम होती। इस तरह, सेबी ने प्रत्येक व्यक्ति द्वारा बेचे गए शेयरों की संख्या को इस फीसदी से गुणा करके उस नुकसान का पता लगाया जिससे बचा गया, जिससे जुर्माने की राशि बनी।
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खुराना के 348,500 शेयर 53 करोड़ रुपये में बिके और इसका 27.165 फीसदी 14.4 करोड़ रुपये होता है। कठपालिया के 125,000 शेयर 19.2 करोड़ रुपये में बिके और इसका 27.165 फीसदी 5.21 करोड़ रुपये होता है। अन्य तीन व्यक्तियों के लिए छोटी राशि की गणना भी इसी तरह की गई।