अर्थव्यवस्था

डॉलर इंडेक्स अगर और गिरा तो क्या होगा भारत पर असर? Kotak की रिपोर्ट में मिल गया इशारा

कोटक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ सालों में अमेरिका में जो भी अतिरिक्त खपत हुई, वो एशिया और यूरोप की "अतिरिक्त बचत" की वजह से संभव हुई।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- May 29, 2025 | 2:12 PM IST

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज़ की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में बढ़ती बॉन्ड यील्ड वहां की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को दिखाती है, लेकिन इसका असर दुनिया की दूसरी अर्थव्यवस्थाओं की मौद्रिक नीति (monetary policy) पर ज्यादा नहीं पड़ेगा। लेकिन, डॉलर इंडेक्स (DXY) में गिरावट का असर पूरी दुनिया पर हो सकता है।

क्यों बढ़ रही हैं अमेरिका की बॉन्ड यील्ड?

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में हालिया तेजी इस बात का संकेत है कि निवेशक अब वहां की कमजोर अर्थव्यवस्था, बढ़ते फिस्कल घाटे (fiscal deficit) और नीति से जुड़ी अनिश्चितता को लेकर ज्यादा प्रीमियम मांग रहे हैं। इसका मतलब है कि अमेरिका को अब निवेश के लिए ज्यादा ब्याज देना पड़ रहा है। अगर ये यील्ड लंबे समय तक ऊंची बनी रहीं, तो अमेरिका की कर्ज और बजट की स्थिति और बिगड़ सकती है, क्योंकि उसे नए बॉन्ड अब पुराने से कहीं ज्यादा महंगे दर पर बेचने होंगे।

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भारत की नीति पर कम असर

कोटक का मानना है कि भले ही अमेरिका में यील्ड बढ़ रही हो, लेकिन इसका भारत की मौद्रिक नीति यानी RBI के फैसलों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। भारत की बॉन्ड यील्ड अभी भी अमेरिकी यील्ड से ऊपर है, और भारत की मैक्रो इकोनॉमिक स्थिति अमेरिका से बेहतर मानी जा रही है। भारत का चालू खाता घाटा (CAD) कम है, महंगाई भी नियंत्रण में है और रुपया (INR) की वैल्यू भी स्थिर बनी हुई है। ये सब मिलकर भारत को बाहरी जोखिमों से कुछ हद तक बचा सकते हैं।

डॉलर इंडेक्स कमजोर हुआ तो अमेरिका को झटका

कोटक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ सालों में अमेरिका में जो भी अतिरिक्त खपत हुई, वो एशिया और यूरोप की “अतिरिक्त बचत” की वजह से संभव हुई। यानी बाकी दुनिया ने अमेरिका के बॉन्ड और एसेट्स में पैसा लगाया और अमेरिका को खर्च करने की आज़ादी मिली। लेकिन अब अगर डॉलर इंडेक्स (DXY) और ज्यादा कमजोर होता है, तो विदेशी निवेशक अमेरिकी एसेट्स से दूरी बना सकते हैं। इससे अमेरिका को या तो खपत घटानी होगी, या उत्पादन और बचत बढ़ानी होगी।

DXY गिरा तो पूरी दुनिया में असर

रिपोर्ट के अनुसार, डॉलर इंडेक्स में गिरावट का असर पूरी दुनिया पर होगा। जो देश अब तक अमेरिकी एसेट्स में बेझिझक निवेश कर रहे थे, वो अब सोच-समझकर फैसला करेंगे। इससे ग्लोबल कैपिटल फ्लो में बदलाव आ सकता है।

इस बदलाव के कुछ नतीजे हो सकते हैं:

  • अमेरिका में निवेश बनाए रखने के लिए गैर-अमेरिकी निवेशकों को ज्यादा रिटर्न ऑफर करना पड़ेगा।
  • बहुत से देश अपने घरेलू बाजारों में निवेश बढ़ा सकते हैं – जिससे वहां संपत्ति के दाम अनजाने में बहुत बढ़ सकते हैं (asset bubble)।
  • बचत करने वाले देशों की खपत और बचत का संतुलन बदल सकता है।
  • भारत को फायदा मिलेगा या नहीं, कहना मुश्किल

हालांकि ये बदलाव भारत जैसे उभरते बाजारों (EMs) के लिए फायदेमंद हो सकते हैं, लेकिन कोटक का कहना है कि ये तय नहीं है कि भारत को इससे सीधा लाभ मिलेगा। बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि निवेशक किस देश को कितनी प्राथमिकता देते हैं और वहां की आर्थिक स्थिति कैसी है।

First Published : May 29, 2025 | 2:12 PM IST