बैंक

सरकारी बैंकों के कर्मियों की बढ़ रही उत्पादकता

उल्लेखनीय है कि बीते कुछ वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की जा रही है।

Published by
हर्ष कुमार   
Last Updated- June 16, 2025 | 10:55 PM IST
सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों में प्रति कर्मचारी कारोबार (बीपीई) में बीते कुछ वर्षों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जो कर्मचारियों की बढ़ती उत्पादकता और बेहतर परिचालन दक्षता को दर्शाता है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हालिया सालाना रिपोर्ट से बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा संकलित आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय स्टेट बैंक का बीपीई वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 37.37 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2024 में 34.10 करोड़ रुपये था। पंजाब नैशनल बैंक का बीपीई वित्त वर्ष 2024 के 23.84 करोड़ रुपये के मुकाबले 26.86 करोड़ रुपये और बैंक ऑफ बड़ौदा का बीपीई 29.31 करोड़ रुपये से बढ़कर 32.53 करोड़ रुपये हो गया।
बीपीई में वृद्धि दर्शाता है कि प्रत्येक कर्मचारी पहले से ज्यादा कारोबार कर रहा है, जिसे लागत साधने, डिजिटल कौशल अपनाने और बेहतर संसाधन उपयोग से बल मिल रहा है। यह टिकाऊ वृद्धि और लाभप्रदता के लिए एक मजबूत आधार की ओर भी इशारा करता है।

Also Read: ऋण वृद्धि दर तीन साल में सबसे कम

केयर रेटिंग्स लिमिटेड में वरिष्ठ निदेशक संजय अग्रवाल ने कहा, ‘इस वृद्धि के दो प्रमुख कारण हैं। पहला, बैंक प्रौद्योगिकी, डिजिटलीकरण और प्रशिक्षण जैसे कार्यों के साथ सेल्स के पहल सहित प्रक्रियाओं में सुधार कर रहे हैं। दूसरा कारण है कि अर्थव्यवस्था और प्रति व्यक्ति आय में सामान्य वृद्धि के साथ खास लेन-देन का आकार भी बढ़ा है, जिससे बेहतर परिणाम मिल रहे हैं।’
यूको बैंक का प्रति कर्मचारी कारोबार वित्त वर्ष 2024 के 20.93 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 24.35 करोड़ रुपये हो गया। इसी तरह, केनरा बैंक का भी बीपीई वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 29.30 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2024 में 25.97 करोड़ रुपये था। बैंक ऑफ इंडिया ने भी सुधार की बात कही है और उसका बीपीई एक साल पहले के 25.87 फीसदी के मुकाबले वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 28.21 करोड़ रुपये हो गया।

Also read:  मई में थोक महंगाई 14 महीनों में सबसे कम

हालांकि, अग्रवाल ने चेताया है कि बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उच्च उत्पादकता की होड़ में ग्राहकों से उनकी दूरी न बढ़े या कर्मचारियों से असहनीय कार्यभार की अपेक्षा न की जाए।
उल्लेखनीय है कि बीते कुछ वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की जा रही है। बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारियों की संख्या में लगातार कमी आई है। वित्त वर्ष 2023 में बैंक में 52,374 कर्मचारी कार्यरत थे और यह संख्या वित्त वर्ष 2024 में घट कर 50,944 हो गई, जबकि वित्त वर्ष 2025 में इसमें और गिरावट आ गई तथा बैंक में 50,564 कर्मचारी हो गए।
केनरा बैंक में भी गिरावट का रुख जारी रहा और वित्त वर्ष 2023 के 84,978 के मुकाबले वित्त वर्ष 2024 में बैंक में 82,638 कर्मचारी ही थे, जबकि बीते वित्त वर्ष 2025 में बैंक में कुल कर्मचारियों की संख्या 81,260 थी। बैंक ऑफ बड़ौदा में भी लगातार गिरावट का सिलसिला बरकरार रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा में वित्त वर्ष 2023 में कुल 76,513 कर्मचारी थे, जो वित्त वर्ष 2024 में कम होकर 74,227 रह गए और एक साल बाद यानी वित्त वर्ष 2025 में बैंक में कर्मचारियों की कुल संख्या और कम होकर 73,742 रह गई।

Also Read: मई में कम हो गया व्यापार घाटा

इसके विपरीत, देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक में मामूली सुधार दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2023 में बैंक में 2,35,858 कर्मचारी थे, जो वित्त वर्ष 2024 में घटकर 2,32,296 रह गए थे मगर बीते वित्त वर्ष कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 2,36,226 हो गई। मगर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों की शाखाओं में वृद्धि हुई है।
First Published : June 16, 2025 | 10:52 PM IST