Tuhin Kanta Pandey, secretary, Department of Investment and Public Asset Management (DIPAM)
निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय का कहना है कि आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) के निवेश की प्रक्रिया में तेजी आ रही है और मौजूदा वित्त वर्ष के अंत से पहले इस बैंक की वित्तीय बोली आमंत्रित की जा सकती है। हर्ष कुमार और श्रीमी चौधरी के साथ बातचीत के मुख्य अंश :
मुझे लगता है कि इसे किसी भी समय भारतीय रिजर्व बैंक से मंजूरी मिल जाएगी। हम इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया की शुरुआत करने की स्थिति में हैं। अगर सटीक तौर पर कहें तो जल्द ही हम निजी डेटा रूम तक प्रवेश देने की शुरुआत करने की स्थिति में हैं। इससे बोली लगाने वालों को कंपनी का विस्तृत वित्तीय ब्योरा हासिल करने की अनुमति होगी। इसके बाद काफी कुछ इस बात पर निर्भर होगा कि संभावित बोलीकर्ता इसे कैसे देखते हैं और उनकी क्या मांगें हैं। हमारी कोशिश यह होगी कि इस वित्त वर्ष के अंत से पहले वित्तीय बोली की प्रक्रिया हो जाए।
हां, मैं कहूंगा कि यह सुनियोजित रणनीति के अनुरूप है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सरकारी कंपनियां अपना बेहतर मूल्य बनाए रखते हुए संपत्ति सृजन जारी रखें। वास्तव में एक बेहतर मूल्य वाले मॉडल की कल्पना करना बेहद मुश्किल है जब तक हम इसे शेयर बाजार में नहीं लाते हैं।
बाजार जवाबदेही के रूप में बाहरी जवाबदेही तभी आती है जब यह बाजार खिलाड़ी बन जाता है। यह सूचीबद्ध होने के साथ ही बाजार खिलाड़ी बन जाता है जिसका अर्थ यह है कि हमें कुछ चीजें जरूर विनिवेश करनी चाहिए। दूसरा रास्ता विलय और अधिग्रहण का है जो समय लगने वाली प्रक्रिया है।
इसके अलावा इसमें जोखिम भी है क्योंकि अगर यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती है और बोली विफल हो सकती है तब आपको बोली की पूरी प्रक्रिया दोबारा से करनी पड़ सकती है जैसे कि भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) के मामले में हुआ। ऐसे में अगर बड़े पैमाने पर विनिवेश होता है तब अच्छा है, अगर ऐसा नहीं होता है तब आपको कुछ नहीं मिलेगा। वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया है कि मंत्रिमंडल के फैसले का सम्मान किया जाएगा इसलिए हम भी ऐसा करेंगे।
भारतीय नौवहन निगम के दस्तावेज में कुछ दिक्कतें हैं। अहम बात यह है कि सूचीबद्धता की प्रक्रिया हुई है ऐसे में शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लैंड ऐंड एसेट्स लिमिटेड (SCILAL) सूचीबद्ध हुई है। नतीजतन सरकार के दस्तावेज में भी बदलाव होंगे क्योंकि अब SCILAL एक अलग कंपनी है और इनके कई पट्टे SCIL के नाम पर हैं। ऐसे में उन सभी पट्टे और अन्य दस्तावेजों को अद्यतन करने की आवश्यकता है।
हम CPSE के सहयोगी इकाई के पक्ष में सूचीबद्धता पर विचार करेंगे जो जरूरी नहीं है कि वे हमारी कंपनियां हों बल्कि हमारे सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई की कंपनियां होनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर एनटीपीसी ग्रीन।
हम मौके के हिसाब से चीजें जारी रखेंगे। बाजार नियामक संस्था, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के नियम के मुताबिक जहां मुद्रा कम होगी, हमें उसमें तेजी लानी होगी। लेकिन ऐसा कब और कितनी मात्रा में किया जाएगा, हम इसका खुलासा नहीं करना चाहते हैं।
इसके दो पहलू हैं। पहला, 49 फीसदी तक विनिवेश का अर्थ यह है कि सरकार के पास 51 फीसदी हिस्सेदारी होगी। दूसरा, सरकार अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम करे या फिर पूरी तरह से विनिवेश करे। यह बड़े बदलाव वाला क्षण होगा। मेरा मानना है कि बैंक के संदर्भ में हम बाजार अनुकूल ढांचे की ओर बढ़ रहे हैं