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पीसीए से बाहर आया आईडीबीआई बैंक

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 7:12 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने निजी क्षेत्र के ऋणदाता आईडीबीआई बैंक पर लगाए गए त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) प्रारूप को करीब चार साल के बाद हटा लिया है। बैंक की वित्तीय स्थिति में सुधार आने के बाद इसे पीसीए के दायरे से बाहर किया गया है। इससे सरकार के लिए बैंक का रणनीतिक विनिवेश करने का रास्ता साफ हो गया। आईडीबीआई बैंक में सरकार के पास 45.48 फीसदी हिस्सेदारी है।
आरबीआई ने कहा कि बैंक की वित्तीय स्थिति में सुधार आया और 18 फरवरी, 2021 को वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड द्वारा आईडीबीआई बैंक के प्रदर्शन की समीक्षा की गई। इसमें पाया गया कि दिसंंबर, 2020 तिमाही में बैंक द्वारा जारी नतीजों में इसने नियामकीय पूंजी, शुद्घ एनपीए और लीवरेज अनुपात में पीसीए मानदंडों का उल्लंघन नहीं किया है। बैंक ने लिखित में प्रतिबद्घता जताई है कि वह न्यूनतम नियामकीय पूंजी, शुद्घ एनपीए और लीवरेज अनुपात के नियमों का अनुपालन करेगा।
आईडीबीआई बैंक द्वारा पूंजी पर्याप्तता सीमा का उल्लंघन करने और परिसंपत्ति गुणवत्ता में कमी आने (मार्च 2017 में शुद्घ एनपीए 13 फीसदी से ज्यादा हो गया था) के बाद आरबीआई ने मई 2017 में बैंक को पीसीए में डाल दिया था।
पीसीए से बाहर निकाले जाने की खबर से आईडीबीआई बैंक का शेयर 5.08 फीसदी चढ़कर 38.25 रुपये पर बंद हुआ। भारतीय जीवन बीमा निगम की इसमें 49.24 फीसदी हिस्सेदारी है। आरबीआई ने कहा, ‘सभी बातों को संज्ञान में लेकर आईडीबीआई बैंक को राहत देते हुए पीसीए से बाहर कर दिया गया है। हालांकि इसके साथ कुछ खास नियम-शर्तें जुड़ी होंगी और निगरानी भी लगातार जारी रहेगी।’ भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) नियंत्रित आईडीबीआई बैंक को 2020-21 की दिसंबर तिमाही में 378 करोड़ रुपये नुकसान हुआ था। ब्याज आय में बढ़ोतरी ने इसमें अहम योगदान दिया था। एक वर्ष पहले समान तिमाही में बैंक को 5,763 करोड़ रुपये नुकसान हुआ था।
बैंक की शुद्ध ब्याज आय 18 प्रतिशत बढ़कर 1,810 करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 1,532 करोड़ रुपये थी। इसी तरह, शुद्ध ब्याज मार्जिन भी 60 आधार अंक बढ़कर 2.87 प्रतिशत हो गया। एक वर्ष पहले समान अवधि में यह 2.27 प्रतिशत रहा था। सकल एनपीए भी पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के 28.72 प्रतिशत से कम होकर 23.52 प्रतिशत रह गया। शुद्ध एनपीए 5.25 प्रतिशत से कम होकर 1.94 प्रतिशत रह गया।
आईडीबीआई बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बैंक को पीसीए से निकालने की तैयारी पहले से चल रही थी। अब बैंक कुछ कड़े नियम-शर्तों के साथ सामान्य उधारी सहित कंपनियों को ऋण देने का कारोबार दोबारा शुरू कर सकता है। हालांकि फिलहाल कारोबारी ढांचे में बहुत बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती है, लेकिन रणनीतिक साझेदार वित्तीय क्षेत्र का ही हुआ तो बैंक के कारोबारी ढांचे और इसकी नीतियों में बदलाव हो सकते हैं।

First Published : March 10, 2021 | 11:16 PM IST