भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को सहकारी बैंकों से मिलने वाले आवास ऋण की सीमा दोगुनी कर दी और ग्रामीण सहकारी बैंकों को आवासीय रियल एस्टेट परियोजना के वित्त पोषण की मंजूरी दे दी, ताकि अफोर्डेबल हाउसिंग व समग्र विकास को सहारा मिले।
केंद्रीय बैंक ने शहरी सरकारी बैंकों को ग्राहकों की जरूरतों खास तौर से वरिष्ठ नागरिकों व दिव्यांगों को बैंकिंग सेवा उनके घर पर उपलब्ध कराने की अनुमति दे दी। यह कदम उन्हें अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों के समकक्ष ला देगा, जो पहले से ही ऐसी सेवाएं दे रहे हैं।
आरबीआई ने मौद्रिक नीति बयान में आज कहा कि वह सहकारी बैंकों की तरफ से दिए जा रहे आवास ऋण की सीमा दोगुनी कर रहा है क्योंकि हाउसिंग की कीमतें बढ़ी है और हम इसमें ग्राहकों की जरूरतें भी समाहित कर रहे हैं। इन सीमाओं में पिछली बार शहरी सहकारी बैंकों के लिए साल 2011 में और ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए साल 2009 में संशोधन हुए थे।
