बजट के बाद से 1000 करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) फिर से खरीदारी कर सकते हैं। इंतजार है, बाजार के स्थिर होने का!
ये निवेशक घरेलू और वैश्विक, दोनों बाजारों पर नजर रखे हुए हैं और मौजूदा स्थिति में सुधार होने का इंतजार कर रहे हैं। इस संबंध में एसबीआई कैपिटल मार्केट के प्रमुख जिगनेश देसाई का कहना है कि विदेशी फंड मैनेजरों से हमारी बात हुई है और उन्होंने हमें आश्वस्त किया है कि वे निवेश करने के बेहद इच्छुक हैं।
लेकिन एक बार बाजार स्थिर हो जाए, तो फिर बात बने। उनके मुताबिक, 2007 कैलेंडर वर्ष में सूचकांक 45 फीसदी चढ़ा है, लिहाजा संस्थागत निवेशकों ने संभवत: लाभ तय (प्रॉफिट बुक) कर लिए होंगे। रोचक बात यह है कि भारतीय बाजार ने लगातार तीन कैलेंडर वर्षों में 40 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है।
हालांकि इस दौरान बीएसई बेंचमार्क में बजट के समय 1484.59 अंकों की गिरावट दर्ज की है औैर अब सूचकांक 16,339.89 पर आ पहुंचा है। यह गिरावट बजट में किसानों के 60,000 करोड़ रुपये कर्ज माफ करने की घोषणा की बात हुई है।
फिर भी लघु अवधि प्राप्ति कर को 15 फीसदी कर दिया गया है। उधर, सेंसेक्स में जारी गिरावट की व्याख्या करते हुए इंस्टीटयूशनल इक्विटी के नरेश कोठारी का कहना है कि दुनिया भर में तरलता कम होने के कारण मंदी है।
इसके अलावा, समय से पहले चुनाव और मुद्रास्फीति बढ़ने के कारण निवेशकों के बीच भय का माहौल व्याप्त है, क्योंकि महंगाई बढ़ने से ब्याज दरों में इजाफा होगा, जो बाजार के लिए घातक साबित हो सकता है। जबकि विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिवाली और बिकवाली, दोनों का गहरा असर पड़ता है और यह कई मायनों में भारतीय शेयर बाजार की दिशा तय करती है।
बहरहाल, इस कैलेंडर वर्ष में एफआईआई द्वारा कुल 34,722 करोड़ रुपये की बिकवाली नकद बाजार क्षेत्र से की गई है। इस संबंध में सेबी ने भी आंकड़े जारी करते हुए कहा है कि इन निवेशकों द्वारा 12,230 करोड़ रुपये की उगाही करने से बाजार की स्थिति चरमराई है।
इस असंतुलन की वजह एफआईआई द्वारा नकद बाजार में बिकवाली और प्राथमिक बाजार में खरीदारी करना भी है।
उल्लेखनीय है कि प्राथमिक बाजार में आईपीओ की बिक्री की जाती है और बीएसई केवल नकद बाजार में किए गए कारोबारों को प्रदर्शित करती है, जबकि सेबी प्राथमिक और द्वितीय, दोनों तरह के आंकड़े उपलब्ध कराती हैं। सेबी के मुताबिक, कुल 1300 विदेशी संस्थागत निवेशक पंजीकृत हैं और उनकी ओर से भारतीय इक्विटी बाजार में 63 अरब डॉलर निवेश किया गया है।
1990 के बाद से इतनी बड़ी राशि का निवेश पहली बार हुआ है। लेकिन कहानी इतने पर ही खत्म नहीं होती है, बल्कि निवेश 200 अरब डॉलर को भी पार कर सकता है।
