भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने अगस्त में रीपो दरों में 50 आधार अंक की बढ़ोतरी कर दी। इससे पहले 8 जून को समिति ने इसमें 50 आधार अंक इजाफा किया था और उससे भी पहले मई में केंद्रीय बैंक ने ही एकाएक दर 40 आधार अंक बढ़ा दी थी। रीपो दरों में इजाफे की सीधी चोट आवास ऋण ग्राहकों पर पड़ती है और उन्हें इसकी तपिश महसूस भी हो रही होगी। हालांकि नाइट फ्रैंक की जून में आई रिपोर्ट के मुताबिक आवास ऋण पर ब्याज की दरें अब भी 2019 के स्तर से करीब 100 आधार अंक नीचे हैं। अगर दर वहीं तक पहुंचती है तो आवास ऋण की मासिक किस्त (ईएमआई) अच्छी खासी बढ़ जाएगी।
बैंकबाजार डॉट कॉम के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) आदिल शेट्टी कहते हैं, ‘फेडरल रिजर्व जितनी बार दरों में इजाफा करेगा, भारतीय रिजर्व बैंक भी उतनी ही बार दरों बढ़ाएगा। अभी इसमें और वृद्धि की गुंजाइश है। इसलिए कर्जदारों को अपने मौजूदा कर्जों की अदायगी के तमाम विकल्प देखने चाहिए और देखना चाहिए कि उन्हें क्या करने की जरूरत है।’
ईएमआई के बढ़ते बोझ को कम करने के कम से कम चार तरीके हम आपको बता रहे हैं। मगर उन चारों के लिए आपको कर्ज देने वाली संस्था या बैंक के साथ बहुत मोलभाव करना होगा।
बढ़वाएं कर्ज की अवधि
इसके लिए आपको बैंक या कर्ज देने वाली संस्था के पास जाना होगा और रीशेड्यूलिंग यानी कर्ज अदायगी की अवधि बढ़ाने की दरख्वास्त करनी होगी ताकि आपकी ईएमआई घट जाए। एंड्रोमेडा और अपनापैसा के कार्यकारी चेयरमैन वी स्वामीनाथन समझाते हैं, ‘रीशेड्यूलिंग उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है, जिनके ऊपर एक साथ कई कर्ज चल रहे हैं। इससे उन्हें अपनी ईएमआई को अपने बजट के भीतर रखने में मदद मिलेगी।’
मिसाल के लिए आपने 15 साल के लिए 50 लाख रुपये कर्ज लिया है, जिसकी ब्याज दर 7.5 फीसदी है। इसकी ईएमआई 46,351 रुपये बनती है। एक साल के बाद आपकी ब्याज दर बढ़ाकर 8.5 फीसदी कर दी जाती है और बचे 14 साल के लिए ईएमआई भी बढ़कर 48,176 रुपये हो जाती है। मगर आप बैंक से बात कर कर्ज को 14 साल के बजाय 20 साल के लिए करा लें तो 8.5 फीसदी ब्याज दर पर भी ईएमआई घटकर 42,456 रुपये ही रह जाएगी।
स्वामीनाथन कहते हैं, ‘कर्ज देने वाली ज्यादातर संस्थाएं रीशेड्यूलिंग के बदले मामूली प्रोसेसिंग शुल्क लेती हैं मगर मियाद बढ़ाना या नहीं बढ़ाना उनकी मर्जी पर है।’ ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि उस तरह कर्ज की मियाद बढ़ाने पर ब्याज में जाने वाली रकम खासी बढ़ जाएगी।
कर्ज टलवाएं
अगर आपको लगता है कि निकट भविष्य में आपको एकमुश्त बड़ी रकम मिलने वाली है तो आप अपने बैंक से अनुरोध कर सकते हैं कि कुछ समय तक आपसे पूरी ईएमआई नहीं ली जाए। उसके बजाय आप बैंक से कह सकते हैं कि आपसे मूलधन न लिया जाए और कुछ समय तक केवल ब्याज वसूला जाए। लेकिन आपको बैंक से वादा करना होगा कि जैसे ही आपको एकमुश्त रकम मिलेगी आप इस अवधि का बचा हुआ पूरा मूलधन चुका देंगे। शेट्टी कहते हैं, ‘कर्ज का डेफरमेंट वह होता है, जब आपको एक खास अवधि तक बकाया राशि नहीं चुकानी पड़ती। 2020 में भारतीय रिजर्व बैंक ने जो मॉरेटोरियम सुविधा दी थी, वह यही थी। बैंक चाहें तो खुद इसे शुरू कर सकते हैं जैसा आम तौर पर शिक्षा ऋण में होता है।’
कर्ज को टालने से आपको कुछ समय की राहत तो मिल सकती है मगर इसकी कीमत भी चुकानी पड़ती है। शेट्टी बताते हैं कि ज्यादातर मामलों में डेफरमेंट के दौरान आपको बकाया रकम पर साधारण ब्याज चुकाना ही पड़ेगा और जब पैसा आ जाए तो फिर ईएमआई चुकाइए।
सस्ता कर्ज तलाशें
ईएमआई का बोझ कम करने का यह अच्छा विकल्प है। इसमें आप अपने मौजूदा बैंक को छोड़कर किसी ऐसे बैंक या संस्था के पास जा सकते हैं, जो कम ब्याज दर पर कर्ज दे रहा हो। माईमनीमंत्रा डॉट कॉम के संस्थापक और प्रबंध निदेशक राज खोसला कहते हैं, ‘दर बढ़ने के बाद कर्जदार ऐसी जगह जा सकते हैं, जहां दरें मौजूदा बैंक या संस्था के मुकाबले कम हैं। दर में जितना ज्यादा फर्क होगा, कर्जदार को उतनी ही ज्यादा बचत होगी।’
अगर 20 साल के लिए 75 लाख रुपये का आवास ऋण लिया गया हो तो दर में 50 आधार अंक की कमी से ब्याज के मद में 5.5 लाख रुपये बच सकते हैं। जिनका कर्ज अभी लंबा चलना है, उनके लिए दूसरे बैंक या संस्था के पास जाना बहुत फायदेमंद हो सकता है। मगर ध्यान रहे कि बैंक बदलने पर खर्च भी होता है। खोसला बताते हैं, ‘अगर आवास ऋण फ्लोटिंग दर पर लिया है तो बैंक या संस्था बदलने पर कोई प्री-पेमेंट जुर्माना नहीं लगेगा। जिन ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर काफी अधिक होता है, उनसे कोई स्विचिंग (बैंक बदलने का) शुल्क भी नहीं लिया जाता। लेकिन कुछ दूसरे खर्च होते हैं और स्विच करने पर होने वाले फायदे का हिसाब लगाते समय आपको सबका ध्यान रखना चाहिए।’
और आखिर में ध्यान रहे कि यदि आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है तो आपको ऊपर बताए गए विकल्पों फायदा मिलने की संभावना अधिक है।