यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) की बढ़ती मात्रा साबित करती है कि महामारी ने पिछले दो वर्षों में देश में डिजिटल भुगतान के इस्तेमाल को कई गुना बढ़ा दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिजिटल भुगतान सूचकांक में यह बात नजर आती है, जो मार्च 2020 तक 207.84 की तुलना में सितंबर 2021 तक बढ़कर 304.06 हो चुका है। यह सूचकांक किसी विशेष समयावधि के दौरान देश भर में भुगतान के डिजिटलीकरण के दायरे को दर्शाता है। यूपीआई इस डिजिटल भुगतान अभियान का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा है। वित्त वर्ष 22 अब तक यूपीआई 74.51 लाख करोड़ रुपये के 40.49 अरब से कुछ अधिक लेनदेन कर चुका है। यह वित्त वर्ष 21 में किए गए लेनदेन (मात्रा के लिहाज सें) की तुलना में तकरीबन दोगुनी संख्या है। आंकड़े बताते हैं पिछले दो साल में सभी मोबाइल भुगतानों में उत्तरोत्तर तेजी नजर आई है और इस अवधि में एटीएम से नकद निकासी कमोबेश स्थिर रही। देश में क्रेडिट कार्डों की संख्या में लगभग 22 प्रतिशत की वृद्धि, डेबिट कार्डों की संख्या में 14 प्रतिशत की वृद्धि और वॉलेट की संख्या में 42 प्रतिशत की शानदार वृद्धि देखी गई है।
