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कर्ज का मर्ज मंजूर नहीं

Last Updated- December 11, 2022 | 4:20 AM IST

मंदी की वजह से फूंक फूंककर कदम रख रहे आईसीआईसीआई बैंक ने लगातार दूसरे साल अपनी बैलेंस शीट में विस्तार नहीं करने का फैसला किया है।
कर्ज देने के मामले में दूसरे नंबर के इस भारतीय बैंक ने अपने कारोबार में असुरक्षित कर्ज की हिस्सेदारी और भी कम करने का फैसला किया है यानी कर्ज देने में बैंक अब कंजूसी करेगा।
दो दिन बाद बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी के पद पर बैठने जा रही चंदा कोछड़ ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि बैंक सबसे पहले अपनी लागत को दुरुस्त करेगा। कुल जमा में कम से कम एक तिहाई हिस्सेदारी चालू और बचत बैंक खातों की होने के बाद ही बैंक किसी भी तरह के कर्ज देने की रफ्तार बढ़ाएगा।
कोछड़ ने कहा, ‘मैं दो चरणों में काम करूंगी। पहले चरण में हम चालू और बचत खातों की हिस्सेदारी कुल जमा में करीब 32 से 33 फीसदी करेंगे। उस समय तक हमारी बैलेंस शीट में कोई बदलाव नहीं होगा। इसके बाद हम अपनी बैलेंस शीट को बढ़ाएंगे और साथ ही चालू और बचत खातों की हिस्सेदारी भी 40 फीसदी कर लेंगे।’
आईसीआईसीआई के लिए बैंकिंग के मौलिक सिद्धांतों पर लौटने की बात होगी। खातों की हिस्सेदारी बढ़ाने के साथ ही यह बैंक कर्ज बांटने के लिए बाहरी एजेंसियों पर अपनी निर्भरता भी कम करने जा रहा है। इसके लिए वह अपनी शाखाओं के नेटवर्क का ज्यादा अच्छी तरह इस्तेमाल करेगा।
इस साल मार्च के अंत में बैंक के पास कुल जमा राशि लगभग 2,18,350 करोड़ रुपये थी। इसमें चालू और बचत खातों की हिस्सेदारी केवल 28.7 फीसदी थी। वित्त की लागत कम करने के इरादे से बैंक ज्यादा लागत वाली बड़ी जमा से पहले ही बच रहा है।
इसकी वजह से उसके कुल जमा आधार में पिछले वित्त वर्ष के दौरान 10 फीसदी की कमी आ गई, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद वित्त लागत में वह 0.50 फीसदी की ही कमी कर पाया। इसके अलावा बैंक अपने पोर्टफोलियो को संतुलित कर रहा है और छोटे-छोटे पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड जैसे असुरक्षित कर्ज से तौबा कर रहा है।
कोछड़ ने कहा कि बैंक के कुल रिटेल पोर्टफोलिया में असुरक्षित कर्ज की हिस्सेदारी चालू वित्त वर्ष के अंत तक घटकर 10 फीसदी से नीचे आ जाएगी। मार्च 2009 के अंत में आंकड़ा 15-16 फीसदी था।
ज्यादातर बैंकों ने असुरक्षित कर्ज के बाजार से अपने पांव खींच लिए हैं क्योंकि उनमें डिफॉल्ट की संभावना बहुत है और आईसीआईसी बैंक के भी फंसे हुए कर्ज में ज्यादातर हिस्सेदारी रिटेल कर्जों की ही है। बैंक की सकल गैर निष्पादित संपत्ति हालिया संपन्न वित्त वर्ष में 9,929 करोड़ रुपये थी, जिसमें 70 फीसदी से भी ज्यादा हिस्सेदारी असुक्षित यानी रिटेल कर्ज की थी।

First Published - April 30, 2009 | 4:56 PM IST

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