बैंक

नीतिगत दर पर महंगाई की मजबूरी, MPC की समीक्षा बैठक में लगातार नौवीं बार Repo Rate बरकरार रख सकता है RBI

मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो दर 250 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 फीसदी किए जाने के बाद से एमपीसी ने पिछली आठ नीति समीक्षा बैठकों में रीपो दर में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है।

Published by
अंजलि कुमारी   
Last Updated- August 04, 2024 | 9:31 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) लगातार नौवीं नीति समीक्षा में दर पर यथास्थिति बनाए रख सकती है। बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में 10 प्रतिभागियों ने ऐसी राय जाहिर की है। आरबीआई 8 अगस्त को नीति समीक्षा के निर्णय की घोषणा करेगा। मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो दर 250 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 फीसदी किए जाने के बाद से एमपीसी ने पिछली आठ नीति समीक्षा बैठकों में रीपो दर में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है।

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा, ‘खाद्य मुद्रास्फीति जोखिम को लेकर नीतिगत रुख सतर्क होगा। गर्मियों के दौरान लू चलने और जून में मॉनसून की सुस्त चाल जैसे प्रतिकूल मौसम के कारण खाद्य मुद्रास्फीति के बढ़ने का दबाव बना हुआ है। दैनिक खाद्य पदार्थों की कीमतों से संकेत मिलता है कि जुलाई में खुदरा कीमतें ऊंची रही हैं और सब्जियों जैसे जल्द खराब होने वाले उत्पादों की आपूर्ति भी प्रभावित हुई है।’

उन्होंने कहा, ‘राहत की बात है कि मुख्य मुद्रास्फीति ऐतिहासिक निचले स्तर पर है, जिससे संकेत मिलता है कि सामान्य तौर पर कीमतों का दबाव नहीं है। वृद्धि भी मजबूत बनी हुई है, ऐसे में मौद्रिक नीति में खुदरा मुद्रास्फीति को 4 फीसदी लक्ष्य के करीब बनाए रखने पर ध्यान दिया जाएगा।’

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जून में 5.08 फीसदी थी। मगर खाद्य मुद्रास्फीति 9.36 फीसदी थी। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 5.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। पिछले वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 फीसदी रही थी। एचडीएफसी बैंक को छोड़कर सभी प्रतिभागियों ने कहा कि आरबीआई उदार रुख को वापस लेना जारी रखेगा।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2024 में उच्च वृद्धि और वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 4.9 फीसदी मुद्रास्फीति को देखते हुए उन चार सदस्यों जिन्होंने जून में दर और रुख में यथास्थिति बनाए रखने के पक्ष में मत दिया था, के वोटिंग रुझान पर असर संभवत: नहीं पड़ेगा। अगर मॉनसून के उत्तरार्द्ध में बारिश का वितरण सामान्य रहा और खाद्य मुद्रास्फीति आगे भी अनुकूल रही तथा वैश्विक और घरेलू मोर्चे पर कुछ प्रतिकूल घटनाएं नहीं हुईं तो अक्टूबर 2024 में आरबीआई के रुख में बदलाव आ सकता है।’

एमपीसी के 6 सदस्यों में से दो ने जून की बैठक में ब्याज दर में कटौती करने के पक्ष में मत दिया था। उनका तर्क था कि मौद्रिक नीति ज्यादा सख्त होने से आर्थिक वृद्धि पर असर पड़ सकता है।

एचडीएफसी बैंक में प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, ‘मुद्रास्फीति में नरमी और अमेरिका में सितंबर में दर कटौती के संकेत से आरबीआई का रुख बदलकर तटस्थ हो सकता है।’ अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने जुलाई की नीतिगत बैठक में संकेत दिया था कि अगर आर्थिक आंकड़े मुद्रास्फीति और रोजगार को प्रबंधित करने के लिए फेड के लक्ष्य के अनुरूप रहते हैं तो सितंबर में दर कटौती की जा सकती है।अधिकतर प्रतिभागियों ने उम्मीद जताई कि आरबीआई दिसंबर से दर में कटौती शुरू कर सकता है।

भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, ‘मौजूदा तरलता की स्थिति को देखते हुए बैंकिंग तंत्र में जमा दरें घटने की संभावना नहीं है।’अधिकतर प्रतिभागियों का कहना था कि मुद्रास्फीति या वृद्धि अनुमान में किसी तरह के बदलाव की संभावना नहीं है। हालांकि एक वर्ग का मानना था कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को संशोधित किया जा सकता है।

आईसीआईसीआई बैंक में इकनॉमिक रिसर्च ग्रुप के प्रमुख समीर नारंग ने कहा, ‘इस साल कोई बदलाव की उम्मीद नहीं है मगर सब्जियों की कीमतों में तेजी को देखते हुए वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति अनुमान में बदलाव हो सकता है। तीसरी तिमाही के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान घटाया जा सकता है।’

First Published : August 4, 2024 | 9:31 PM IST