बैंक इस समय अपने क्रेडिट कार्ड सेग्मेंट को बढ़ाने की जंग लड़ रहे हैं, वहीं सिटी बैंक इंडिया की बाजार हिस्सेदारी पिछले कुछ साल से कार्डों की संख्या और व्यय दोनों हिसाब से कम हो रही है। बहरहाल अभी भी सिटी कार्ड से किया जाने वाला औसत व्यय अन्य किसी भारतीय बैंक की तुलना में ज्यादा है।
पिछले साल बैंकिंग क्षेत्र के वैश्विक दिग्गज ने भारत सहित ईएमईए और एशिया के 13 बाजारों में उपभोक्ता बैंकिंग फ्रेंचाइजी से बाहर निकलने की घोषणा की थी। करीब 4 साल के दौरान सिटी बैंक ने व्यय की बाजार हिस्सेदारी में 600 आधार अंक (बीपीएस) गंवाई है। वित्त वर्ष 18 में बैंक की बाजार हिस्सेदारी 10.6 प्रतिशत थी और सिर्फ एचडीएफसी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक की बाजार हिस्सेदारी ज्यादा थी। लेकिन रिजर्व बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक धीरे धीरे बाजार हिस्सेदारी घटकर 4.6 प्रतिशत रह गई।
वहीं इसी अवधि के दौरान आईसीआईसीआई बैंक ने व्यय बाजार हिस्सेदारी 900 आधार अंक और एसबीआई कार्ड्स ने 260 आधार अंक बढ़ाई है। एचडीएफसी बैंक प्रतिबंधित था और इसके कारण वह नए कार्ड करीब 9 महीने तक जारी नहीं कर सका, जिसके कारण इस अवधि के दौरान उसकी व्यय बाजार हिस्सेदारी 230 आधार अंक कम हुई।
मोतीलाल ओसवाल के संकलित आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 19 और वित्त वर्ष 20 में शुरुआत में बाजार हिस्सेदारी हासिल करने वाले ऐक्सिस बैंक की व्यय बाजार हिस्सेदारी वित्त वर्ष 18 और वित्त वर्ष 22 के बीच (फरवरी तक) 100 आधार अंक कम हुई है।
आउटस्टैंडिंग क्रेडिट कार्डों में भी वित्त वर्ष 18 और वित्त वर्ष 22 के बीच (फरवरी तक) सिटी बैंक की हिस्सेदारी 350 आधार अंक कम हुई है। परिणामस्वरूप सिटी के अब फरवरी 2022 तक 25.5 लाख क्रेडिट कार्ड हैं। मोतीलाल ओसवाल इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 साल के दौरान सिटी के जारी कुल कार्डों की संख्या 0.4 प्रतिशत संयुक्त सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) पर स्थिर रही है। वहीं इस दौरान यह उद्योग 20 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ा है।
2019 में सिटी बैंक के जारी किए गए क्रेडिट कार्डों में बाजार हिस्सेदारी 13 प्रतिशत और व्यय में हिस्सेदारी 19.5 प्रतिशत थी और उसके बाद से धीरे-धीरे इसकी बाजार हिस्सेदारी कम हुई है।
