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ब्याज माफी पर निर्णय करे केंद्र

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 2:58 AM IST

सर्वोच्च न्यायालय ने आज कहा कि कर्ज भुगतान पर रोक (मॉरेटोरियम) की अवधि के दौरान ब्याज माफ करने के मसले पर रुख स्पष्ट करने के बजाय केंद्र सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पीछे छिप रही है। अदालत ने कहा है कि केंद्र इस मसले पर एक हफ्ते के अंदर अपना रुख स्पष्ट करे। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाले पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस पर अपना रुख साफ नहीं किया है जबकि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उसके पास पर्याप्त अधिकार थे।
इस पर सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से ऐसा नहीं कहने का अनुरोध करते हुए कहा कि सरकार आरबीआई के साथ मिलकर काम कर रही है। उन्होंने जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा, जिसे शीर्ष अदालत ने स्वीकार कर लिया।
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह ने सोलिसिटर जनरल से कहा कि वे आपदा प्रबंधन अधिनियम पर रुख स्पष्ट करें और यह बताएं कि मौजूदा ब्याज पर अतिरिक्त ब्याज लिया जा सकता है या नहीं। मेहता ने तर्क दिया कि सभी समस्याओं का एक सामान्य समाधान नहीं हो सकता। याची की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि कर्ज मॉरेटोरियम की अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उन्होंने इसे आगे बढ़ानेे की मांग की। सिब्बल ने कहा, ‘मैं केवल यह कह रहा हूं कि जब तक इन दलीलों पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक मॉरेटोरियम खत्म नहीं होना चाहिए।’ अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 1 सितंबर को मुकर्रर की है।
उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले कहा था कि कोविड महामारी के मद्देनजर कर्ज की किस्तों के भुगतान पर रोक लगाई गई थी तो ऐसे में हमें ब्याज के ऊपर ब्याज वसूले जाने का कोई तुक नजर नहीं आता है।
पीठ ने आगरा निवासी गजेन्द्र शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। याची ने रिजर्व बैंक की 27 मार्च की अधिसूचना से उस हिस्से को निकालने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया है जिसमें स्थगन अवधि के दौरान कर्ज राशि पर ब्याज वसूले जाने की बात कही गई है। उनका कहना है कि इससे उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। साथ ही यह प्रावधान भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए जीवन के अधिकार की गारंटी मामले में भी आड़े आता है।
आरबीआई ने अदालत से कहा था कि ब्याज माफ करने के लिए दबाव नहीं डाला जाना चाहिए क्योंकि इससे बैंकों पर बोझ पड़ेगा। इसके बाद 4 जुलाई को अदालत ने वित्त मंत्रालय से मॉरेटोरियम अवधि में कर्ज पर ब्याज माफ करने पर जवाब मांगा था।
अदालत ने कहा कि इस मामले में दो पहलू शामिल हैं- पहला, मॉरेटोरियम अवधि के दौरान कर्ज पर ब्याज नहीं लेना और दूसरा ब्याज पर ब्याज नहीं वसूलना। अदालत ने कहा था कि यह चुनौतीपूर्ण समय है, ऐसे में यह गंभीर मुद्दा है कि एक तरफ कर्ज किस्त भुगतान को स्थगित किया जा रहा है और दूसरी तरफ उस पर ब्याज लिया जा रहा है।
उधर, बैंकरों ने आरबीआई से मॉरेटोरियम को 31 अगस्त से आगे नहीं बढ़ाने को कहा है।

First Published : August 26, 2020 | 10:50 PM IST