विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के बावजूद बैंकों के लिए दिसंबर 2008 की तिमाही का परिणाम उत्साहवर्धक रहा है।
मंदी के इस दौर में फंडों की खस्ता हालत के बावजूद कीमतों पर बेहतर नियंत्रण रख पाने की क्षमता के कारण बैंकिंग क्षेत्र फं डों की ऊंची कीमतों से आसानी से निपट सके।
इसके अलावा बांडों की आमदनी में गिरावट के कारण बैंकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो में मजबूती लाने में काफी मदद मिली साथ ही फीस से मिलने वाली आय ने बैंकों के बेहतर प्रदर्शन कर पाने में अहम भूमिका निभाई।
हालांकि बैंकिंग क्षेत्र का प्रदर्शन दिसंबर की तिमाही में बेहतर जरूर रहा है लेकिन आनेवाले समय में कारोबार की मात्रा में कमी आ सकती है। इतना ही नहीं बैंकों के डूबे हुए कर्जों में अगली तिमाहियों में बढ़ोतरी से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
जिस समय क्षेत्र भीषण क्रेडिट संकट के दौर से गुजर रहा था उस समय बैंकों ने अपने नेट इंटरेस्ट मार्जिन को बरकरार रख पाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और लागत में हुए खर्चो को ग्राहकों के ऊपर लादने में कोई गुरेज नहीं किया।
उदाहरण के लिए एचडीएफसी बैंक का नेट इंटरेस्ट मार्जिन सिक्वेंशियल 10 फीसदी के आधार अंकों की बढ़ोतरी के साथ 4.3 फीसदी रहा जबकि बैंक के लिए फं डों की कीमत में 100 आधार अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
बैंकों को फीस से आनेवाली आय से भी काफी मदद मिली। फेडरल बैंक के फीस से आनेवाली आय में जहां 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई एचडीएफसी बैंक के लिए यह बढ़ोतरी 40 फीसदी रही। एक्सिस बैंक के फीस इनकम में इससे भी ज्यादा यानी 75 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
बाडों से आनेवाली आय में कमी के कारण बैंकों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा समेट पाने में काफी आसानी हुई। इस वजह से ही फेडेरल बैंक के शुध्द मुनाफ े में 129 अंकों की बढ़ोतरी हुई जिसमें ट्रीजरी से होनेवाले मुनाफे का जबरदस्त योगदान रहा।
इलाहाबाद बैंक के मुनाफे में ट्रीजरी मुनाफे का योगदान 40 फीसदी रहा। इंडसइंड बैंक को ट्रीजरी परिचालन से 37 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई जबकि दिसंबर तिमाही में बैंक के शुध्द मुनाफे में 45 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
हालांकि आनेवाले समय में बैंकों केलिए हालात में बदलाव आ सते हैं। वित्त वर्ष 2009-10 में क्रेडिट में 15-16 फीसदी की बढ़ोतरी की संभावना जो वर्ष 2007-08 के 22 फीसदी की तुलना में कम है। हालांकि इससे बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता जरूर सुधरेगी लेकिन मार्जिन में कमी आ सकती है।