वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने आज कहा कि वैश्विक महामारी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था दोबारा पटरी पर आ गई है और सैन्य संघर्ष से देश की रिकवरी बेपटरी नहीं होगी, जिससे देश के बैंकों के लिए परिचालन की अनुकूल स्थिति पैदा होगी।बैंकों के ऋण का प्रदर्शन और लाभ सुधार रहा है, हालांकि यह निचले आधार स्तर से सुधार रहा है। मूडीज ने कहा कि पूंजी और तरलता का स्तर स्थिर है। रूस-यूक्रेन के सैन्य संघर्ष से आई वैश्विक आर्थिक गिरावट भारत में मुद्रास्फीति और ब्याज दरों को बढ़ा देगी तथा आपूर्ति अवरोध पैदा करेगी।हालांकि भारतीय बैंक वैश्विक महामारी से पहले की तुलना में अब बेहतर स्थिति में हैं। पिछले दशक में ऋण की गुणवत्ता बिगड़ गई थी, क्योंकि बैंकों की कॉर्पोरेट उधार के बहीखातों का एक बड़ा हिस्सा अच्छा नहीं था।उस समय कॉरपोरेट दबाव कई कारकों के साथ जुड़ा हुआ था, जिसमें धीमा आर्थिक विकास, अति-ऋणग्रस्तता और खराब प्रशासन शामिल थे। तब से बैंक अपने बहीखातों को दुरुस्त कर चुके हैं और इसके परिणामस्वरूप गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में गिरावट आ रही है।