भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर और सीआरआर बढ़ाने के साथ ही अब बैंकों द्वारा ऋण और जमा दरों में इस सप्ताह बढ़ोतरी की संभावना व्यक्त की जा रही है।
दोहरे अंक में पहुंच चुकी मुद्रास्फीति से जूझ रहे आम आदमी की मुश्किलें इससे और बढ़ने वाली हैं। आरबीआई ने कल रात ही रेपो रेट और नगद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी की थी।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा महंगाई पर लगाम कसने केलिए ऊठाए गए इस कदम पर विभिन्न बैंकों ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी। कार्पोरेशन बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक बी संबामूर्ति ने बताया कि बैंक की असेट लायबिलिटी कमेटी की बैठक के बाद ब्याज दरों पर कोई फैसला किया जाएगा। संबामूर्ति ने कहा कि हम ब्याज दरों में संतुलित वृध्दि का इरादा कर रहे हैं।
मनीपाल स्थित सिंडीकेट बैंक के कार्यकारी निदेशक जार्ज जोसेफ ने कहा कि बैंक दरों में बढ़ोतरी के बारे में कोई भी फैसला करने से पहले बाजार पर नजदीकी नजर रख रहा है। उन्होंने कहा, ” हम बाजार की स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। हमारी असेट लायबिलिटी कमेटी की बैठक शुक्रवार को होगी और उसके बाद ब्याज दरों पर कोई फैसला किया जाएगा।
आईडीबीआई बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक योगेश अग्रवाल ने कहा कि आरबीआई का कदम अपेक्षित था और यह केन्द्रीय बैंक के कड़े मौद्रिक उपायों की कड़ी में किया गया फैसला है। उन्होंने कहा कि आईडीबीआई भी बैठक के बाद ब्याज दर बढ़ाने पर कोई फैसला लेगा। जम्मू-कश्मीर बैंक, एस बैंक, एचडीएफसी बैंक जैसे कुछ बैंकों ने अपने बीपीएलआर में 0.25 प्रतिशत से एक प्रतिशत के दायरे में बढ़ोतरी की घोषणा पहले ही कर दी है।
सरकारी बैंक बैंक ऑफ बड़ौदा भी इसी सप्ताह के अंत तक ब्याज दरों में इजाफा करेगा। बैंक केअध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एम डी माल्या ने कहा कि हम अपनी ब्याज दरें सभी उत्पादों और सेगमेंट में बढ़ाएंगे। सार्वजनिक क्षेत्र के एक अन्य बैंक यूको बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एस के गोयल ने कहा कि रिजर्व बैंक का कदम मांग को नियंत्रित करने और मुद्रास्फीति की बढ़ती दर पर काबू पाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
गोयल ने कहा, ‘अल्पकालिक ऋण दरों और जमा दरों को बढ़ाने का काफी दबाव है। हम दोनों ही दरों में 0.25 प्रतिशत से 0.5 प्रतिशत के बीच बढ़ोतरी के बारे में विचार कर रहें हैं। बैंक की बैठक 30 जून को निर्धारित है। देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक ‘पंजाब नेशनल बैंक’ ने कहा है कि वह अपने ब्याज दरों में 0. 5 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर सकता है जबकि जमा दरों में भी इसी अनुपात में बढ़ोतरी की उम्मीद है।