पहली तिमाही की कमजोरी के बाद, बैंकों को अब जुलाई से सुधार की उम्मीद दिख रही है, क्योंकि महामारी की दूसरी लहर फीकी पड़ रही है और अर्थव्यवस्था में जल्द सुधार के संकेत देखे जा सकते हैं। जून में आर्थिक गतिविधि सूचकांक में तेजी से इस सुधार की शुरुआत का संकेत मिल रहा है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘उम्मीद है कि गतिविधि की रफ्तार को पहुंचा नुकसान अस्थायी हो सकता है और यह 2021-22 की पहली तिमाही तक सीमित रह सकता है।’
वरिष्ठ बैंकरों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि टीकाकरण की रफ्तार इस संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि टीकों से ही तीसरी लहर (यदि आई तो) की धार कुंद की जा सकेगी। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के चेयरमैन राजकिरण राय जी ने कहा, ‘हमें दूसरी तिमाही में बेहतर मांग की उम्मीद करनी चाहिए, क्योंकि बाजार में उपभोक्ता खर्च फिर से बढ़ रहा है। टीकाकरण प्रक्रिया अर्थव्यवस्था में उत्साह पैदा करने के लिए बेहद जरूरी है।’
एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने इसी तरह के विचार प्रकट करते हुए कहा कि जून 2021 के पहले सप्ताह के बाद आर्थिक गबतविधि में सुधार शुरू हुआ है। उनके बैंक को वित्त वर्ष 2022 में ऋण में 9 प्रतिशत की वृद्घि का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2021 के 4.8 प्रतिशत से ज्यादा है। आर्थिक गतिविधि सूचकांक से अच्छे सुधार का संकेत दिखा है और यह एक महीने पहले के 61 से बढ़कर 72 पर पहुंच गया है।
मांग में सुधार
विश्लेषकों का कहना है कि ग्रामीण भारत शहरी इलाकों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करेगा। शहरी इलाकों में वेतन फिर से महामरी से पहले जैसे स्तर पर पहुंचने में कुछ समय लग सकता है। हालांकि चूंकि लोग बीमारी और पारिवारिक सदस्यों की मृत्यु की वजह से आर्थिक और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित हुए हैं, इसलिए मांग पर दबाव कुछ और समय तक बना रह सकता है।
वित्तीय सेवा एवं डेटा प्रबंधन फर्म डन ऐंड ब्रेडस्ट्रीटके वैश्विक मुख्य अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा, ‘बडे हेल्थकेयर खर्च और घटती बचत से उपभोक्ता विश्वास और मांग में कमी बनी रहेगी। जब तक आबादी के बड़े तबके को टीका नहीं लग जाता, तब तक व्यवसायों में अपने पूंजीगत खर्च बढ़ाने या नियुक्ति योजनाओं को आगे बढ़ाने में सतर्कता बरती जाएगी।’
एलआईसी हाउसिंग फाइनैंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी वाई विश्वनाथ गौड़ का कहा है, ‘दूसरी और तीसरी तिमाही से कुछ सुधार हाएगा। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो हम पिछले साल जैसा और उससे भी बेहतर व्यवसाय कर सकते हैं।’
विश्लेषक ऋण, खासकर रिटेल और एमएसएमई सेगमेंटों में मांग में तेजी देख रहे हैं।
क्रिसिल में वरिष्ठ निदेशक (वित्तीय क्षेत्र की रेटिंग्स) कृष्णन सीतारामन का कहना है, ‘9.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्घि के साथ बैंकिंग क्षेत्र की ऋण वृद्घि चालू वित्त वर्ष में 400-500 आधार अंक तक बढ़कर 9-10 प्रतिशत हो सकती है।’
सीतारमन का कहना है कि हालांकि कॉरपोरेट ऋण वृद्घि धीमी बनी रहेगी, क्योंकि पूंजीगत खर्च सुधरने में अभी वक्त लगेगा और कई कंपनियां कर्ज घटाने पर जोर दे रही हैं।
त्योहारी मांग
बैंकों को उम्मीद है कि त्योहारी सीजन में महज दो महीने हैं और इससे ऋण वृद्घि को मजबूती मिलेगी। यदि दूसरी तिमाही बेहतर रही तो घर, कार और अन्य सामानों की अच्छी खरीदारी देखी जा सकेगी, क्योंकि इसे कम ब्याज दरों से मदद मिलेगी। राय का कहना है, ‘ऋणदाता इस त्योहारी सीजन में शुल्क माफ करने और अन्य रियायतें देने की ज्यादा कोशिश करेंगे।’
एनपीए की समस्या
मार्च 2021 में, एनपीए यानी फंसे कर्ज कुल अग्रिमों के करीब 10 प्रतिशत थे। लेकिन बैंक आगामी दिनों में फंसे कर्ज की स्थिति के अनुमान को लेकर सतर्क हैं। यदि सरकार और आरबीआई द्वारा पुनर्गठन योजनाओं की घोषणा नहीं की जाती तो पिछले साल एनपीए काफी बढ़ जाता। साथ ही भुगतान पर 6 महीने की छूट भी दी गई। सर्वोच्च न्यायालय ने इस साल मार्च तक एनपीए की पहचान पर रोक लगाने का आदेश दिया था।
हालांकि इस साल एनपीए के आंकड़ों में तेजी आ सकती है, क्योंकि उस तरह के पुनर्गठन की व्यवस्था इस बार नहीं कराई गई है। इसके अलावा घटती मांग को देखते हुए पुनर्गठित कंपनियों दबाव झेल सकती हैं। छोटे व्यवसायों पर दबाव से भी एनपीए बढ़ सकता है।
क्रिसिल का अनुमान है कि इस साल अप्रैल में ऋण संग्रह क्षमता मार्च के मुकाबले 5-10 प्रतिशत तक घटी, और मई में इसमें 10-15 प्रतिशत की कमजोरी आई, क्योंकि लॉकडाउन बरकरार रहा।
