जिन बैंकों ने मायटास इन्फ्रास्ट्रक्चर और मायटास प्रॉपर्टीज को कर्ज दे रखा है, वे अब जोखिम बढ़ जाने के डर से अपने कर्ज की समीक्षा कर रहे हैं। डर ये है कि इन परियोजनाओं में अगर देरी हुई तो गारंटी खत्म कर दी जाएगी।
रामलिंग राजू परिवार द्वारा प्रवर्तित कंपनियों को लेकर उठे भारी विवाद के बाद बैंकों ने मायटास इन्फ्रास्ट्रक्चर और मायटास प्रॉपर्टीज को दी गई गारंटियों की समीक्षा शुरू कर दी है।
इसमें वे परियोजनाओं में देरी होने की सूरत में जोखिम का आकलन भी कर रहे हैं। एक सरकारी बैंक के आला अधिकारी ने कहा, ‘मौजूदा हालात में हम सुरक्षित रास्ता अपनाना चाहेंगे।’
रामलिंग राजू के पुत्र द्वारा चलाई जा रही मायटास इन्फ्रा के पास 30 सितंबर 2008 को लगभग 11,554 करोड़ रुपये के ठेके मौजूद थे और कंपनी में 2962 कर्मचारी काम कर रहे थे।
कंपनी ने दूसरी तिमाही में 354 करोड़ रुपये का कारोबार किया था। उस तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ 17 करोड़ रुपये रहा था।
एक्सपोजर का जायजा लेने की पुष्टि करते हुए आईसीआईसीआई बैंक ने एक बयान में कहा, ‘हम कंपनी के बैंकर हैं और अपने एक्सपोजर का जायजा ले रहे हैं।’
लेकिन बैंक ने इस बात का कोई भी ब्योरा नहीं दिया कि कंपनी में उसका एक्सपोजर किस तरह का है और किस हद तक है। कर्ज देने के मामले में आईसीआईसीआई भारत का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है।
उसने कहा, ‘हम किसी विशेष कंपनी को दिए गए कर्ज के बारे में टिप्पणी नहीं कर सकते। हम किसी भी तरह का खुलासा तभी करेंगे, जब हम यह जांच लेंगे कि इस तरह का प्रभाव हम पर पड़ने वाला है, जिसकी जानकारी देना जरूरी है।’
मायटास प्रॉपर्टीज की वेबसाइट के मुताबिक आईसीआईसीआई बैंक और एनसीसी ने जुबली हिल्स परियोजना के लिए उसके साथ संयुक्त उपक्रम बनाया है।
यह परियोजना लगभग 5.7 एकड़ क्षेत्र में बनाई जा रही है। इसमें फाइव प्लस स्टार होटल, लक्जरी अपार्टमेंट और रिटेल मॉल के लिए 10 लाख वर्ग फुट क्षेत्र विकसित हो रहा है।
बैंकों ने दोनों कंपनियों की परियोजनाओं के लिए वित्त और गारंटी दिए हैं। ये गारंटी परियोजना के ठेकेदार या कंपनी की ओर से परियोजना के प्रमोटर को दी जाती हैं। इनमें निश्चित समय में काम पूरी होने की गारंटी या विशिष्ट गुणवत्ता वाले काम की गारंटी दी जाती है।