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MTNL के ऋण पुनर्गठन के लिए बैंक तैयार

पिछले साल कंपनी ने ऋण भुगतान में की थी चूक, अब अगले हफ्ते सभी हितधारकों से मुलाकात करेंगे कैबिनेट सचिव

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अनुप्रेक्षा जैन   
Last Updated- June 11, 2025 | 11:11 PM IST

सरकारी दूरसंचार कंपनी महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) के लिए बैंकों ने कहा कि वह ऋण के पुनर्गठन के लिए तैयार हैं मगर उन्होंने किसी भी तरह की कटौती से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि ऋण को इक्विटी में तब्दील करने अथवा दूरसंचार कंपनी की परिसंपत्तियां बेचकर वह रकम वसूलने के लिए तैयार हैं, लेकिन भुगतान में किसी भी तरह की कटौती नहीं करने के अपने फैसले पर अडिग हैं।

बैंक ऋण में चूक करने वाली सरकारी दूरसंचार कंपनी एमटीएनएल के लिए रास्ता निकालने के वास्ते कैबिनेट सचिव टीवी सोमनाथन ने अगले हफ्ते विभिन्न हितधारकों की बैठक बुलाई है।

बैंकरों के मुताबिक, वे बैठक के दौरान सरकार से बकाया राशि चुकाने का आश्वासन मांगेंगे और एमटीएनएल की उन परिसंपत्तियों की जानकारी मांगेंगे, जिन्हें बेचकर रकम वसूला जा सके। अंतिम उपाय के तौर पर बैंक बकाया राशि चुकाने के लिए कानूनी उपायों की भी मांग कर सकते हैं।

एक बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हम एमटीएनएल के ऋण में किसी भी तरह की कटौती नहीं करने के अपने फैसले पर अडिग रहेंगे। इसके अलावा हम ऋण पुनर्गठन योजनाओं, ऋण को इक्विटी में तब्दील करने जैसी संभावनाएं तलाशने के लिए तैयार हैं मगर कटौती नहीं करने वाले हैं। बैठक का मुख्य एजेंडा एमटीएनएल के बकाया ऋण को चुकाने के लिए सरकार का आश्वासन और नैशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) के साथ साझेदारी के जरिये एमटीएनएल के विभिन्न अन्य सौदों की जानकारी इकट्ठा करना है।’

पिछले महीने मई में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में बैंकों ने एमटीएनएल का मसला उठाया था और ऋण चूक में तत्काल समाधान करने की मांग की थी।

एक अन्य सरकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘रकम वापस हासिल करने का विकल्प तलाशना ही इस बैठक का प्रमुख एजेंडा होगा। अधिकतर बैंकों ने इसे एनपीए घोषित कर दिया है, लेकिन अब इसमें किसी भी तरह की कटौती की गुंजाइश नहीं है। ऋणदाता छोटे खातों से भी वसूली की कोशिश करते हैं और सरकारी उपक्रमों के ऋण में कटौती अच्छी बात नहीं होती है। रकम कैसे वसूली जाए इस पर साल भर से चर्चा हो रही है और पहली बार हमारी बैठक कैबिनेट सचिव के साथ होने वाली है।’

बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि बैंकों ने इस पहले ही एनपीए घोषित कर दिया है और उन्होंने इसके खिलाफ 100 फीसदी प्रावधान किया है।

उल्लेखनीय है कि सरकारी दूरसंचार कंपनी पर सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों का 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है और बैंकों ने इस ऋण को गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) में तब्दील कर दिया है। एमटीएनएल पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का 3,543 करोड़ रुपये, इंडियन ओवरसीज बैंक का 2,319 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ इंडिया का 1,053.80 करोड़ रुपये, पंजाब नैशनल बैंक का 454 करोड़, भारतीय स्टेट बैंक का 337 करोड़ रुपये, यूको बैंक का 260 करोड़ रुपये और पंजाब ऐंड सिंध बैंक का 176 करोड़ रुपये बकाया है। एमटीएनएल ने पिछले साल इन ऋण के भुगतान में चूक की थी।

इस साल 30 अप्रैल तक सरकारी दूरसंचार कंपनी ने कई बैंकों के 8,346 करोड़ रुपये का ऋण नहीं चुकाया था। कुल रकम में से 7,794 करोड़ रुपये बकाया मूल धन है और 552 करोड़ रुपये का ब्याज और दंड शुल्क शामिल है। कंपनी ने पिछले साल अगस्त से जून के दौरान ऋण भुगतान में चूक की थी।

वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में, एमटीएनएल ने 827.22 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया, जो वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही में 783.74 करोड़ रुपये के शुद्ध घाटे से अधिक है। कंपनी ने चौथी तिमाही में 310.72 करोड़ रुपये की कम कुल आय भी दर्ज की, जो एक साल पहले की इसी अवधि में 353.54 करोड़ रुपये थी।

पूरे वित्त वर्ष 25 के लिए सरकारी दूरसंचार कंपनी का शुद्ध घाटा बढ़कर 3,327.69 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 24 में 3,267.52 करोड़ रुपये के शुद्ध घाटे से थोड़ा अधिक है। वित्त वर्ष 25 के लिए कुल आय 1378.52 करोड़ रुपये रही, जो वित्त वर्ष 24 में 1,373.10 करोड़ रुपये थी।

First Published : June 11, 2025 | 10:47 PM IST