केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों से ग्राहकों द्वारा ऋण भुगतान के बाद संपत्ति के दस्तावेज उन्हें सौंपने में तेजी लाने को कहा है। मंत्रालय ने कहा है कि पूरी तरह से ऋण के भुगतान के बावजूद संपत्ति के दस्तावेज सौंपने में तेजी लाने की दिशा में किया गया काम असंतोषजनक है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर यह जानकारी दी। इस तरह के मामलों का बैकलॉग अगस्त 2024 के 29,500 की तुलना में घटकर फरवरी 2025 में 20,800 पर पहुंचा है।
अधिकारी ने कहा, ‘इस तरह की देरी से ग्राहकों का भरोसा टूटता है। ऐसे में वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों को निर्देश देते हुए कहा है कि कड़ी समयसीमा तय करने के साथ जवाबदेही तय की जाए, जिससे गिरवीं रखी संपत्ति के कागजात तेजी से जारी किए जा सकें। मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह की चूक से सरकारी बैंक की जनता में छवि खराब होती है।’ सूत्र ने आगे कहा कि भारतीय स्टेट बैंक के सबसे ज्यादा 18,000 मामले लंबित हैं, जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा के करीब 1,000 मामले हैं। इस सिलसिले में एसबीआई और बीओबी को भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं मिला।
सितंबर 2023 में भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा था कि विनियमित संस्थाओं (आरई) को ऋण के पूर्ण भुगतान और निपटान के 30 दिनों के भीतर मूल चल और अचल संपत्ति दस्तावेजों को जारी करना चाहिए और रजिस्ट्री में पंजीकृत शुल्कों को हटाना चाहिए। अगर आरई द्वारा 30 दिन से अधिक देर की जाती है तो उन्हें उधार लेने वालों को प्रतिदिन के हिसाब से 5,000 रुपये जुर्माना देना होगा।