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नियंत्रक कंपनियों को विनिमय योग्य बांड जारी करने की मंजूरी

Last Updated- December 07, 2022 | 10:05 PM IST

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने होल्डिंग कंपनियों को अपनी  सूचीबद्ध ग्रुप कंपनियों के लिए विदेशों में बांड जारी कर फंड जुटाने की अनुमति दे दी है।

और ऐसे बांड को उस कंपनी के शेयरों में तब्दील किया जा सकता है जिसके लिए यह फंड जुटाया गया हो। आरबीआई का यह फैसला वित्त मंत्रालय के द्वारा फॉरेन करेंसी एक्सचेंजेबल बांड (एफसीईबी) के बारे में दिशानिर्देश जारी करने के छह महीने बाद आया था।

मालूम हो कि पिछले साल फरवरी में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने इस बारे में घोषणा की थी। इस बांड में नए फंड के जुटाने के बारे में तौर-तरीकों से संबंधित कुछ आरक्षण हैं।

मालूम हो कि आरबीआई ने एफडीआई कैप एवं इन बांड के द्वारा जुटाए जाने वाले फंड के इस्तेमाल पर चिंता जाहिर की थी। जबकि इस बारे में दिशानिर्देश उस वक्त आए हैं जब तरलता की स्थिति वैश्विक स्तर पर खासे सख्त हैं और सरकार एवं आरबीआई ने गत दिनों ही इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के लिए बाह्य वाणिज्यिक कर्जों यानी इसीबी नियमों में ढ़ील देने की सोची है।

अब जबकि यह योजना परिचालित हो चुकी है तो अब भारतीय नियंत्रक कंपनियां ऐसे बांड विदेशी मुद्रा के शब्दों में जारी कर सकते हैं। साथ ही उन्हें इसके बदले में मूल रकम और ब्याज भी विदेशी मुद्रा में लेने का अधिकार प्राप्त होगा।

जबकि बांड की खरीदारी वो कर सकेंगे जो भारतीय निवासी नही हैं। इसके साथ ऐसे बांड जारी करने वाली कंपनियां जो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई लेने के काबिल होती हैं की इक्विटी में इन बांड्स को तब्दील किया जा सकता है।

जबकि इससे पहले आरबीआई और विदेशी अनुमोदन निवेश बोर्ड की अनुमति की जरूरत पड़ती थी। आरबीआई ने अपनी जारी अधिसूचना में इस बात की स्वीकृति दी है कि जारीकत्ता कंपनी जो एफसीईबी उत्पादों का निवेश विदेशी संयुक्त उपक्रमों या फिर पूर्ण अधिग्रहित सब्सिडयरियों में करती है तो इसे बतौर प्रोमोटर कंपनियों में निवेश करने की भांति ही समझा जाएगा।



 

First Published - September 24, 2008 | 9:41 PM IST

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