बैंकिंग तंत्र में नकदी की तंग स्थिति को देखते हुए बैंकरों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मुलाकात कर विभिन्न उपायों के जरिये लंबे समय के लिए तरलता सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। घटनाक्रम के जानकार सूत्रों ने कहा कि बैंकरों ने आरबीआई से खुले बाजार परिचालन (ओएमओ), वेरिएबल रेट रीपो (वीआरआर) नीलामी, स्वैप की खरीद-बिक्री के जरिये बैंकिंग तंत्र में नकदी बढ़ाने की अपील की है।
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को तरलता समायोजन सुविधा के जरिये 2 लाख करोड़ रुपये मुहैया कराए हैं। केंद्रीय बैंक ने बीते दो महीनों के दौरान रुपये में तेज उठापटक को नियंत्रित करने के लिए हाल के समय में मुद्रा बाजार में व्यापक हस्तक्षेप किया है। इससे बैंकिंग तंत्र में नकदी की और तंगी हो गई। नोमुरा के अनुमान के अनुसार बैंकिंग तंत्र में 27 सितंबर को कुल नकदी 4.6 लाख करोड़ रुपये थी जो 27 दिसंबर को घटकर 40 हजार करोड़ रुपये रह गई। आगे भी नकदी में कमी आई है।
एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘बैंकरों ने आरबीआई से 30 दिन, 90 दिन और 120 दिन की लंबे अवधि के लिए नकदी मुहैया कराने का आग्रह किया है। इस मुलाकात के बाद केंद्रीय बैंक ने आज 14 दिन, 4 दिन और ओवरनाइट की नकदी मुहैया कराई। इसके अलावा रिजर्व बैंक से कुछ खरीद/बिक्री का स्वैप करने का अनुरोध किया गया था।’
आरबीआई ने 50 करोड़ से 70 करोड़ डॉलर की खरीद/बिक्री का स्वैप किया है। इससे एक साल के अग्रिम प्रीमियम में गिरावट आई है। सूत्रों के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से 2 अरब डॉलर मूल्य की और खरीद/बिक्री स्वैप किए जाने की उम्मीद है।
नकदी की तंगी के कारण अल्पावधि के कॉर्पोरेट बॉन्ड की उधारी लागत भी बढ़ गई है। यह राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा जुटाई गई पूंजी की ब्याज दर से भी पता चलता है। सूत्रों ने कहा कि नाबार्ड ने 7.53 फीसदी की दर पर 4,412 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
बाजार के कुछ भागीदारों का कहना है कि नकदी की हालिया तंगी के कारण खास तौर पर अल्पकालिक अवधि में ऋण जुटाने की गतिविधियां सुस्त हो सकती हैं। अर्थशास्त्रियों और बाजार के भागीदारों का कहना है कि आरबीआई को दर कटौती को प्राथमिकता देने के बजाय बैंकिंग तंत्र में तरलता बढ़ाने के लिए नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) में अतिरिक्त कटौती करने पर विचार करना चाहिए।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में इंडिया इकनॉमिक रिसर्च की प्रमुख अनुभूति सहाय ने कहा, ‘हम अप्रैल-जून में रीपो में 50 आधार अंक की कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। इससे पहले आरबीआई को नकदी की स्थिति में सुधार करने पर ध्यान देना चाहिए।’
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘वृद्धि दर में नरमी को देखते हुए फरवरी में रीपो दर में कटौती की संभावना है मगर मेरा व्यक्तिगत विचार है कि वृद्धि सही दिशा में है। मुद्रा विनिमय बाजार में भारी उथल पुथल को देखते हुए दर कटौती के लिए अभी इंतजार करना चाहिए क्योंकि रुपये में नरमी से आयातित मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम है।’