उच्चतम न्यायालय ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से पड़े एक-एक वोट का मिलान वीवीपैट पर्चियों से कराए जाने के लिए दाखिल सभी याचिकाएं आज खारिज कर दीं। इसका मतलब है कि पहले की ही तरह ईवीएम से मतदान होता रहेगा और सभी ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन जुड़ी रहेंगी।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपंकर दत्ता के पीठ ने कहा, ‘हमारी राय में ईवीएम सरल, सुरक्षित और उपयोगकर्ता के लिए सुविधाजनक हैं। मतदाता, उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधि तथा निर्वाचन आयोग के अधिकारी ईवीएम प्रणाली की बारीकियां जानते हैं। वे जांचते और सुनिश्चित करते हैं कि मशीन सही हों और सही तरीके से काम करें। वीवीपैट व्यवस्था आने से वोट के सत्यापन का विचार मजबूत होता है, जिससे निर्वाचन प्रक्रिया में जवाबदेही भी बढ़ती है।’
पीठ ने कहा कि ईवीएम से डाले गए वोट की संख्या गड़बड़ होने के संदेह भर से एक-एक वोट का मिलान वीवीपैट पर्ची से कराए जाने की मांग इन याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार करने का आधार नहीं हो सकती।
अदालत ने यह भी कहा कि मतपत्रों के जरिये मतदान कराने या ईवीएम का कोई अन्य विकल्प लाने के कदम पीछे लौटने जैसे होंगे और इनसे भारतयी नागरिकों के हितों की समुचित सुरक्षा नहीं होगी। इसलिए ऐसा कुछ नहीं किया जाना चाहिए।
अदालत ने कहा, ‘हमें मतपत्र की पुरानी प्रणाली अपनाने का अनुरोध अनुचित और व्यर्थ मानकर खारिज कर देना चाहिए। मतपत्र प्रणाली की खामियों को सब जानते हैं।’
मौजूदा प्रावधान के तहत निर्वाचन आयोग किन्हीं पांच विधानसभाओं को औचक तौर पर चुनता है और वहां ईवीएम तथा वीवीपैट पर्चियों का मिलान करता है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने याचिका दाखिल कर मांग थी कि 100 फीसदी वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाना चाहिए।
अदालत ने ‘चुनाव प्रक्रिया को और भी निष्पक्ष तथा स्वतंत्र बनाने के लिए’ निर्देश दिया कि जिन वीवीपैट में चुनाव चिह्न डालने का काम 1 मई, 2024 को या उसके बाद किया गया है, उनकी सिंबल लोडिंग यूनिट को एक कंटेनर में सील कर सुरक्षित रखा जाए। उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि सील पर दस्तखत करेंगे। सील किए गए ये कंटेनर नतीजे घोषित होने के कम से कम 45 दिन बाद तक ईवीएम के साथ स्ट्रॉन्ग रूम में रखे जाएंगे। यदि कोई 45 दिन के बीतर चुनाव पर सवाल खड़ा करता है तो इन्हें खोला जाएगा।
अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी संसदीय क्षेत्र के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 5 फीसदी ईवीएम यानी कंट्रोल यूनिट, बैलट यूनिट और वीवीपैट में मौजूद मेमरी या माइक्रोकंट्रोलर की जांच ईवीएम बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद करें। वे देखें कि मशीने के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ तो नहीं हुई है। लेकिन ऐसा दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवारों के लिखित अनुरोध के बाद ही होगा।
नतीजे आने के 7 दिन के बाद ऐसी दरख्वास्त डालनी होगी और मतदान केंद्र तथा सीरियल नंबर पहचानना होगा। सत्यापन के समय सभी उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि वहां रह सकते हैं। जिला निर्वाचन अधिकारी इंजीनियरों से सलाह मशविरा कर सत्यापन प्रक्रिया के बाद माइक्रोकंट्रोलर या मेमरी की प्रामाणिकता की पुष्टि करेगा।
इस पूरी कवायद में होने वाला खर्च निर्वाचन आयोग बताएगा और उम्मीदवार को आवेदन करते समय खर्च भरना होगा। अगर ईवीएम में गड़बड़ पाई गई तो वह रकम उम्मीदवार को लौटा दी जाएगी।
पीठ ने सुझाव दिया कि वीवीपैट पर्चियों को एक-एक कर गिनने के बजाय काउंटिंग मशीनों का इस्तेमाल किया जा सकता है। अदालत ने यह भी सुझाव दिया कि चुनाव आयोग वीवीपैट में लोड किए गए चुनाव चिह्न को बारकोड देने पर भी विचार कर सकता है।