कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कटाक्षों पर तीखे तंज के जरिये पलटवार किया। अपने पिता की हत्या की दर्दनाक यादों का उल्लेख करते हुए उन्होंने अपने परिवार के बलिदान को लोगों के सामने रखा और एक के बाद एक रैलियों में भारी भीड़ जुटाकर प्रियंका अपनी पार्टी के लिए मुख्य प्रचारक के तौर पर उभरीं।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन के साथ ही प्रियंका गांधी वाद्रा ने पार्टी में अपनी स्थिति को भी मजबूत किया है। वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई ने कहा, ‘‘कांग्रेस लंबे समय से एक प्रभावी चुनाव प्रचारक की तलाश में थी और 2024 के चुनावों में प्रियंका गांधी ने जिस तरह से मोदी को जवाब दिया है, वह दर्शाता है कि मोदी का मुकाबला किया जा सकता है और प्रियंका गांधी ने पूरे भारत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’’
किदवई ने ‘‘24 अकबर रोड : ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द पीपुल बीहाइंड द फॉल एंड राइज ऑफ द कांग्रेस’’ समेत कई किताबें लिखी हैं। ‘इंडिया’ गठबंधन भले ही अब तक के रूझानों में सरकार बनाने के जादुई आंकड़े से चूक गया हो, लेकिन इसने देश को एक मजबूत विपक्ष दे दिया है। दोपहर तीन बजे के रुझानों में ‘इंडिया’ गठबंधन 230 सीटों पर आगे था और कांग्रेस 98 सीटों पर बढ़त बनाए हुए थी, जो पिछली बार की तुलना में लगभग दोगुनी सीटें हैं।
प्रियंका गांधी काफी हद तक कांग्रेस की गतिविधियों के केन्द्र में रहीं और उन्होंने इस चुनाव अभियान में लगातार आक्रामक प्रचार किया। बेंगलुरु में उनकी उस भावुक अभिव्यक्ति को कौन भूल सकता है, जब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर उनके ‘‘सोने और मंगलसूत्र’’ वाले बयान को लेकर निशाना साधा था और कहा था कि उनकी मां सोनिया गांधी ने देश के लिए अपना ‘‘मंगलसूत्र’’ बलिदान कर दिया था।
प्रियंका के चुनाव लड़ने की अटकलें तेज थीं और उनकी कही हर बात सुर्खियों में थी। लेकिन, कांग्रेस महासचिव ने इस बार चुनावी मैदान में उतरने का फैसला नहीं किया, बल्कि रायबरेली में अपने भाई राहुल गांधी के चुनाव प्रचार की कमान संभाली और अमेठी से कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा के लिए भी जमकर प्रचार किया।
अमेठी से भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी कांग्रेस के शर्मा से 95,000 से ज्यादा वोटों से पीछे चल रही थीं। राहुल गांधी भी जीत की ओर अग्रसर थे और रुझानों में वह अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पर 2.86 लाख वोटों से बढ़त बनाए हुए थे। अपने बचपन के दिनों, अपने पिता राजीव गांधी की हत्या की पीड़ा और अपनी मां के दुख का जिक्र करते हुए प्रियंका ने कांग्रेस के चुनावी अभियान को धार दी।
साथ ही राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर चर्चा करने के बीच कुशलता से संतुलन बनाए रखा। उन्होंने 16 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में प्रचार किया। प्रियंका गांधी ने अमेठी और रायबरेली में दो कार्यकर्ता सम्मेलनों को भी संबोधित किया।